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खूब लूटा है और आगे भी है लूटने की योजना गारंटियों की गारंटी क्या है ? भ्रस्टाचार के मामले में बीजेपी भी उदासीन, घोषणापत्र जनता को मूर्ख बनाने की चाल
राजनीतिक पार्टियां जनता को मूर्ख बनाने में सिद्धहस्त है । चुनाव के वक्त तरह तरह के वादे करना एक आवश्यक परम्परा बन गई है । लेकिन इन वादों की हकीकत से सभी वाकिफ है । आजादी के बाद से तमाम राजनीतिक दल महंगाई, भ्रस्टाचार, गरीबी और रोजगार का ढोल पीटती आ रही है । न गरीबी हटी और न ही भ्रस्टाचार । महंगाई तथा बेरोजगारी में दिन प्रतिदिन इजाफा होता ही जा रहा है ।
राजस्थान में चुनाव होने जा रहे है । ऐसे में सभी पार्टियां मतदाताओ को लुभाने के लिए नए नए पैतरे आजमा रही है । सवाल उठता है कि गारंटी की गारंटी क्या है ? अगर किसी पार्टी ने अपने वादे या गारंटी को पूरा नही किया तो उस पार्टी का जनता कुछ बिगाड़ने का दम नही रखती है । क्योंकि झूठे और हवाई वादे हर पार्टी करती आ रही है । यानी तमाम राजनीतिक दल हमाम में पूरी तरह से नंगे है ।
आओ पहले कांग्रेस की गारंटियों के बात कर ली जाए । सबसे पहले सवाल उठता है कि भ्रस्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस पूरी तरह खामोश क्यों रही ? हकीकत यह है कि भ्रस्टाचार आज सभी राजनीतिक दलों में पूरी तरह समा चुका है । अशोक गहलोत के राज में भ्रस्टाचार की फ्लड गेट पूरी तरह खुल गया था । नतीजतन मंत्रियों से लेकर विधायको ने लूट का नंगा नृत्य किया । लूट के इस कारोबार में अफसर भी पूरी तरह भागीदार रहे ।
आपको ध्यान होगा कि अशोक गहलोत ने सत्ता संभालने के साथ ही सीबीआई पर रोक लगा दी थी । अर्थात सीबीआई को यह अधिकार नही है कि वह राज्य में कार्यरत किसी भ्रस्ट अफसर के खिलाफ कार्रवाई कर सके । इसका परिणाम यह निकला कि 14 आईएएस, आईपीएस और केंद्र सेवा के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी सीबीआई कोई कार्रवाई करने में असहाय है ।
ज्ञात हुआ है कि सीबीआई की इंटेलिजेंस विंग को दो एसीएस, चार सीनियर आईएएस और 7 आईपीएस के खिलाफ गम्भीर शिकायतें प्राप्त हुई है । सीबीआई ने इनका सत्यापन भी करा लिया है । लेकिन राजस्थान सरकार की रोक के कारण सीबीआई कुछ भी करने की स्थिति में नही है । अखबारों के फर्जी सर्कुलेशन सम्बन्धी शिकायत में सीबीआई द्वारा पूरी पड़ताल करली गई है और डीआईपीआर के कई अधिकारियों सहित अनेक पीआईबी, सीएमओ व अनेक अखबारनवीसों को दोषी माना गया है । सीबीआई द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कई बार पत्र लिखा जा चुका है । लेकिन भ्रस्टो को पनाह देने वाली सरकार ने कोई जवाब तक देने की जरूरत तक नही समझी ।
अब एसीबी की भी बात करली जाए । बीएल सोनी के डीजी रहते हुए एसीबी ने बेहतर काम किया । चूंकि चुनाव पास आने वाले थे, इसलिए पिछले कई महीनों से एसीबी की ओर से भ्रस्टाचारियो को लूटने की पूरी छूट दे रखी है । एक तरह से इन दिनों एसीबी साइलेंट मॉड पर है । भ्रस्टाचार के खिलाफ जोरशोर से बोलने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभियोजन स्वीकृति की परंपरा को भी नही बदला ।
फिलहाल कानून यह है कि यदि कोई अधिकारी रिश्वत लेते हुए रँगे हाथो पकड़ा जाता है तो कोर्ट में चालान पेश करने के लिए डीओपी यानी मुख्यमंत्री की स्वीकृति लेना आवश्यक है । इस कानून के चलते अनेक भ्रस्टाचारियो के खिलाफ चालान पेश नही हो सका है । यदि मुख्यमंत्री वास्तव में भ्रस्टाचार के खिलाफ है तो उन्हें ऐसे वाहियात कानून को समाप्त करना चाहिए था ।
आपको ध्यान होगा कि जब सरकार होटल में कैद थी तब सभी विधायकों को लूटने का लाइसेंस जारी कर दिया गया था । पैसे दे दो, ऑर्डर ले लो की तर्ज पर दलाल जैसलमेर में सक्रिय होगये थे । सरकार बचाने के ऐवज में मुर्गा, मांस, मच्छी, दारू तो मिली, साथ ही मिली लूटने की पूरी छूट ।
चूंकि विधायकों ने सरकार को गिरने से बचाया था, लिहाजा मुआवजे के रूप में उन्होंने तबादलो से लेकर खान अलाटमेंट तक मे खूब माल कमाया । अधिकारी भी लूट के इस घिनोने कारोबार में पीछे नही रहे ।
हकीकत यह है कि गहलोत की यह सरकार अब तक की सबसे भ्रस्ट, निकम्मी और वाहियात सरकार रही । इसी सरकार में करीब करीब हर पेपर लीक हुआ । जन प्रतिनिधियों ने अपनी तिजोरी भरने के लिए परीक्षा के प्रश्न पत्रों को बेचा और परीक्षा कराने वाली संस्था आरपीएससी में भ्रस्ट और लुटेरों को सदस्यों के रूप में तैनात कर सरकार ने इसे लूटने का सबसे बड़ा अड्डा बना दिया ।
खैर ! पुरानी बातों को छोड़ा जाए । कांग्रेस ने एक बार फिर गारंटी देकर जनता के साथ छलावा किया है । कांग्रेस के घोषणा पत्र में इस बात का कोई उल्लेख नही है कि घोषित की गई गारंटियों को पूरा कैसे किया जाएगा । इसके अलावा भ्रस्टाचार मिटाने या उसे कम करने के लिए कोई उल्लेख नही किया गया है । यानी कांग्रेस की सभी गारंटिया छलावे के अलावा कुछ भी नही है ।
अब बात करली जाए बीजेपी । यह पार्टी भी दूध की धुली नही है । घोषणापत्र जनता को मूर्ख बनाने के अतिरिक्त कुछ नही है । भ्रस्टाचार के मामले में बीजेपी भी उदासीन है । इनकी जब प्रदेश में सरकार थी, तब सारे निर्णय होटल रामबाग में ललित मोदी लिया करते थे । मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अवश्य थी, लेकिन माल कमाने का ठेका ललित मोदी, एसएन गुप्ता आदि को मिला हुआ था । ऐसी पार्टी भला भ्रस्टाचार मिटाने की बात कैसे कर सकती है ।
वैसे तो जनता दोनों दल कांग्रेस और बीजेपी से धाप चुकी है । इनसे ज्यादा जनता में अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के प्रति घृणा है । इसलिए दोनों पार्टियों को चाहिए कि वह तुरन्त प्रभाव से मुख्यमंत्री का कोई नया चेहरा घोषित करें । साथ ही स्पस्ट करना चाहिए कि भ्रस्टाचार को कम करने की योजना क्या है और अभियोजन स्वीकृति के कानून को समाप्त किया जाएगा या नही ?
यह सही है कि केंद्र की गलत नीतियों की वजह से महंगाई खूब बढ़ी है । लेकिन गहलोत सरकार भी महंगाई को बढ़ाने में पीछे नही रही है । डीजल और पेट्रोल पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाने का श्रेय भी राजस्थान सरकार को जाता है ।