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राजस्थान के वल्लभनगर की सभा में राहुल गांधी ने जब बोली ये बात, तो चर्चा हो गई शुरू लोगों में बड़ी सुगुबगाहट
राजस्थान के वल्लभनगर की सभा में राहुल गांधी ने जात की राजनीति का नया मर्म समझाया है. RG ने जात के एंगल से कॉरपोरेट लूट का धागा खोल दिया. राहुल गांधी ने कहा कि अगर आप एक शर्ट खरीदते हो और वही शर्ट अडानी भी खरीदता है तो दोनों के लिए एक ही जीएसटी है. और ये जीएसटी का पैसा आपका है. जनता का पैसा है.
RG ने कहा कि जीएसटी का पैसा 50 परसेंट पिछड़ों का है, 15 परसेंट दलितों का है, 12 परसेंट आदिवासियों का है, लेकिन मोदी ये पैसा अडानी को दे देते हैं. अपने मित्रो को देते हैं. फसल बीमा का पैसा 16 कंपनियों को दे दिया जाता है. और इन कंपनियों में न तो आदिवासी काम करते हैं और न ही दलित-पिछड़े... सारा का सारा पैसा आपका है... और नरेंद्र मोदी आपका पैसा अपने मित्रो को देते हैं और इसके बदले अडानी और अंबानी दिन भर टीवी पर मोदी का चेहरा दिखाते हैं. किसान का नहीं दिखाते.
राहुल गांधी ने इन विधानसभा चुनावों में जनता के सशक्तिकरण की बात की है. जनता के हाथ में पैसा देने की बात की है. अपनी सरकार की बात की है. राहुल गांधी अपने मुद्दे समझा रहे हैं और जनता को बता रहे हैं कि आपका हक क्या है और ये हक कैसे छीना जा रहा है. लेकिन अगर आप नरेंद्र मोदी के भाषणों को सुनेंगे तो उसमें सांप्रदायिकता के सिवा कुछ है ही नहीं. राम मंदिर के नाम पर वोट मांगा जा रहा है. हिंदू मुसलमान के नाम पर वोट मांगा जा रहा है. लेकिन जनता का भला कैसे होगा ये गायब है.
दोनों नेताओं का भाषण ऐसा है कि दोनों नेता दो ध्रुवों पर खड़े हैं और ये सही बात है. नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में जमीन आसमान का अंतर है. लेकिन जनता का हित क्या है? जनता का भला कौन चाहता है? ये राजस्थान की जनता को तय करना है कि उसे क्या चाहिए और उसका भला किसमें है?
राहुल गांधी का आज भाषण सुनने के बाद मेरे मन में एक ही ख्याल आया कि RG की रैलियों में उमड़ती भीड़ अपने कान घर पर रखकर तो नहीं आती है? अगर ये भीड़ अपने कान खुले रखती है... तो फिर राजस्थान में नया इतिहास लिखा जाएगा.