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प्रदेश में वीरांगनाओं के मामले में आखिर कौन कर रहा है राजनीति, मामले में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने
रमेश शर्मा
पुलवामा मैं शहीदों की वीरांगनाओं का जयपुर में दिए गए धरने को लेकर राजस्थान की राजनीति मैं जबरदस्त उछाल आया है। सामान्य रूप से शुरू हुआ धरना धीरे-धीरे न केवल राजस्थान में बल्कि समूचे देश में प्रचारित हो गया। अगर धरने के शुरू होते ही भले ही वीरांगनाओं की मांग पूरी हो या न हो मगर सरकार के मुखिया द्वारा उनसे मुलाकात कर ली जाती तो शायद मामला वहीं समाप्त हो जाता। मगर खुले रुप से इस प्रकरण में पार्टी की गुटबाजी सामने आई मामला उस समय घूम गया जब वीरांगना गहलोत के कट्टर विरोधी पायलट के निवास पर धरना देने बैठ गई।
यह मैं नहीं कर रहा हूं यह बात उस सीन को लेकर बयां कर रही है जब सरकार के दूत बंद कर प्रताप सिंह खाचरियावास पायलट के निवास के बाहर बैठी वीरांगनाओं से मिलने पहुंचे थे। जहां उन्होंने वीरांगनाओं को समझा कर धरना समाप्त करने के लिए लगभग तैयार भी कर लिया था केवल वीरांगनाये लिखित में चाह रही थी लेकिन इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री द्वारा अपने ही दूत की बात को नजरअंदाज कर इससे भविष्य में शहीदों के परिवार के बच्चों के बड़े होने पर होने वाले प्रभाव का कारण बताते हुए एक तरह से अपनी असहमति व्यक्त कर दी। उसके बाद क्या हुआ यह बताने की जरूरत नहीं है लेकिन इतना जरूर दोहराना पड़ेगा कि जिन तीन वीरांगनाओं को मुख्यमंत्री से पुलिस ने मिलने नहीं दिया या मुख्यमंत्रि उनसे नहीं मिले लेकिन कल जयपुर की ही कुछ वीरांगनाओं ने मुख्यमंत्री निवास पर पहुंच कर गहलोत की बात का समर्थन करते हुए कहा कि वीरांगनाओं को देवर की नौकरी की बात उपयुक्त नहीं है।
अब यह बात अलग है की 12 दिन धरने के बाद अचानक दूसरी विरांगनए अपने बच्चों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने कैसे पहुंची उधर किरोड़ी लाल का पुलिस द्वारा कोलर पकड़ने का मामला भी सुर्खियों में है जिसकी खुद प्रताप सिंह खाचरियावास ने किरोडीलाल से व्यक्ति गत संबंध बताते हुए एसएमएस अस्पताल में उनकी तबीयत पूछने के बाद कहा की इसकी जांच होनी चाहिए और दोषी पर कार्रवाई भी होनी चाहिए। प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि वे वीरांगनाओं के मामले में अपनी बात पर कायम है और उन्होंने यहां तक कहा कि अगर मुख्यमंत्री से मिलना पड़ा तो वे मुख्यमंत्री से मिलेंगे। दूसरी तरफ पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी कहा की वीरांगनाओं की बात सुननी चाहिए सचिन कहा कि बलिदानियों की वीरांगनाओं की बात सुननी चाहिए। उनकी मांग मानना या नहीं मानना बाद का मुद्दा है।
जहां तक नौकरी की बात है। किसी को एक-दो नौकरी देने से बदलाव आने वाला नहीं है। हम अगर किसी को कुछ नहीं भी देना चाहें तो बैठकर मिलकर संवेदनशील होकर समझाएं तो मामला बेहतर बन सकता है। पायलट ने कहा कि हमारे सैनिक देश की सरहद पर खड़े होकर गोली खा रहे हैं। वे किसी जाति, धर्म या विचारधारा के लिए नहीं, पूरे देश के लिए खड़े हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यदि शुरुआती दौर में ही सरकार द्वारा बिना राजनीति किए हुए बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाता तो यह नोबत नहीं आती।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मुख्यमंत्री गहलोत को इस मामले में फोन करके धरने के मामले में उचित कदम उठाने को कहा था वही राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से धरने के मामले में उचित कार्रवाई करने हेतु लिखा था।। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या केंद्र सरकार यह रक्षा मंत्री इस मामले में कोई हस्तक्षेप करेंगे!