जयपुर

गुर्जरों को पटरियों पर बैठाने के लिए कौन जिम्मेदार?

Special Coverage News
10 Feb 2019 12:10 PM GMT
गुर्जरों को पटरियों पर बैठाने के लिए कौन जिम्मेदार?
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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का वायदा किया था, लेकिन सरकार में आने पर सीएम गहलोत कह रहे हैं कि यह मांग केन्द्र सरकार के स्तर की है। सवाल उठता है तो फिर विधानसभा चुनाव में वायदा क्यों किया?

5 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान का गुर्जर समुदाय आठ फरवरी से एक बार फिर रेल पटरियों पर बैठ गया है। इस बार भी गुर्जर बहुल्य सवाईमाधोपुरा मलारना स्टेशन के निकट गुर्जरों ने रेल ट्रेक जाम कर दिया है। इससे दिल्ली-मुम्बई के बीच चलने वाली सभी टेªने बंद हो गई है। लाखों लोग परेशान हो रहे है। इस बीच राहत की खबर ये है कि 10 फरवरी तक गुर्जर बहुल्य क्षेत्रों में सड़कों को जाम से मुक्त कर दिया गया है। लेकिन गुर्जरों ने साफ कहा है कि 11 फरवरी से जयपुर दिल्ली का रेल ट्रेक भी जाम कर दिया जाएगा। इसी प्रकार प्रदेश भर में सड़क मार्ग जाम होंगे। 9 फरवरी राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने अपनी आंगनबाड़ी सुपरवाईजर और कृषि पर्यवेक्षक परीक्षा स्थगित कर दी है। परीक्षा में कोई एक लाख अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं। आयोग के अध्यक्ष बीएल जाटावत ने कहा है कि गुर्जर आंदोलन के समाप्त होने पर नई तिथि घोषित की जाएगी।


इस समय केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार और राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। संघीय ढांचे के अनुसार कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य की है। ऐसे में रेल पटरियों पर बैठने वाले गुर्जरों के खिलाफ कार्यवाही करने का दायित्व राज्य सरकार का ही है, लेकिन कांग्रेस के सीएम गहलोत ने स्पष्ट कह दिया है कि गुर्जरों की समस्या केन्द्र स्तर की है। यदि राज्य स्तर पर कोई काम शेष हैं तो गुर्जर समुदाय बताएं। गहलोत के इस बयान के बाद 9 फरवरी को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के मुखिया कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गहलोत की जम कर प्रशंसा की है। कर्नल बैंसला स्वयं रेल ट्रेक पर टेंट लगा कर बैठे हैं। बड़ी संख्या में गुर्जर समुदाय के लोग कई किलोमीटर तक ट्रेक पर कब्जा किए हैं। एक तरफ सीएम गहलोत का कहना है कि गुर्जरों की मांग केन्द्र सरकार से संबंध्ंिात है तो दूसरी ओर मंत्रियों की एक कमेटी कर्नल बैंसला से मिलने के लिए भेजी गई है। हालांकि इस संबंध में अभी तक केन्द्र सरकार का रुख सामने नहीं आया है। लेकिन माना जा रहा है कि गुर्जर आंदोलन की आड़ में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही है। प्रदेश के डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की भूमिका भी अभी सामने नहीं आई है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का वायदा किया था, लेकिन सरकार में आने पर सीएम गहलोत कह रहे हैं कि यह मांग केन्द्र सरकार के स्तर की है। सवाल उठता है तो फिर विधानसभा चुनाव में वायदा क्यों किया?

आसान नहीं है 5 प्रतिशत आरक्षण मिलना:

कर्नल बैंसला का कहना है कि जिस प्रकार सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। उसी प्रकार संविधान में संशोधन कर गुर्जरों को भी पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। वहीं जानकारों का मानना है कि सवर्णों वाले फार्मूले पर गुर्जर को आरक्षण संभव नहीं है, क्योंकि सवर्णों को आर्थिक आधार पर दिया गया है, जबकि गुर्जर समुदाय सामाजिक और जातीय आधार पर आरक्षण की मांग कर रहा है। सामाजिक आधार पर आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत की है जो वर्तमान समय में दी जा रही है। ऐसे सामाजिक आधार आरक्षण 55 प्रतिशत द्वारा मुश्किल होगा। यदि एक प्रदेश में ऐसा किया जाता है तो अन्य प्रदेश में भी गुर्जरों जैसी जातीय मांग करने लगेगी और तब पूरे देश में हालात बिगड़ेंगे। मौजूदा समय में राजस्थान में गुर्जर समुदाय ओबीसी वर्ग में हैं लेकिन गुर्जरों का कहना है कि ओबीसी में ऐसे ताकतवर और समृद्ध जातियां शामिल हैं जो ओबीसी का सारा कोटा हजम कर जाती है। गुर्जर समुदाय के युवा समृद्ध जातियों के युवाओं का मुकाबला नहीं कर पाते हैं। ऐसे में गुर्जर समुदाय को अलग से पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।

अजमेर में फैसला दस कोः

सवाई माधोपुर के साथ साथ कोटा, भीलवाड़ा, टोंक, दौसा आदि जिलों में भी गुर्जर आंदोलन का असर शुरू हो गया है। अजमेर में भी रेल ट्रेक और हाइवे जाम करने को लेकर दस फरवरी को नरेली स्थित देवनारायण मंदिर में गुर्जरों की एक बैठक रखी गई है। भाजपा के ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश भडाना ने बताया कि 9 फरवरी को डाक बंगले में एक बैठक हुई थी। इसी बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए दस फरवरी का निर्णय लिया गया है। बैठक में नौरत गुर्जर, नाथू सिंह बजाड़, हमेश हाकला, शिवनारायण गुर्जर, गोपाल गुर्जर, सूरजकरण, सांवरलाल, भगवान गुर्जर, महावीर फौजी, मोती प्रधान आदि उपस्थित रहे। भडाना ने कहा कि आंदोलन पूरी तरह राजनीति से अलग है, इसलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेता भाग ले रहे है।

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