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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जुडिशियली को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में आज हाई कोर्ट की जयपुर बेंच में यह कहते हुए कि उन्होंने जो कुछ कहा था वह उनके विचार नहीं थे फिर भी अगर ऐसा कुछ है तो वह माफी मांगते हैं।
दरअसल गहलोत ने तीस अगस्त को मीडिया से बात करते हुए कहा था की न्याय पालिका में भ्रष्टाचार है सुना है कुछ वकील जो जजमेंट लिख कर ले जाते है। वही जजमेंट सुना दिया जाता है। यह गंभीर मामला है जिस पर देश वासियों को सोचना चाहिए। यह बात गहलोत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश मेघवाल द्वारा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर बोलते हुए कही थी। इतना ही नहीं गहलोत ने यह भी कहा था की अर्जुन मेघवाल ने करप्शन किया था जिन्हे दबा दिया गया।
गहलोत की इस टिप्पणी के बाद वकीलों में भारी रोष उत्पन्न हो गया था। गहलोत के पुतले तक जलाए गए, इस को लेकर हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई। जिनमें से एडवोकेट शिवचरण गुप्ता की याचिका पर आज सुनवाई हुई। जिसमें जिसमें अशोक गहलोत की तरफ से जवाब पेश किया गया हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए जी मसीह की खंड पीठ ने गहलोत के वकील प्रतीक कासलीवाल द्वारा प्रस्तुत कि दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेकर अगली सुनवाई की तारीख 7 नवंबर मुकरर की गई है।
वाली बात ही होगी कि कुछ 7 नवंबर को हाईकोर्ट में क्या कुछ निकल कर सामने आएगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि न्यायपालिका के विरुद्ध बिना किसी सबूत के यह बिना किसी ठोस आधार के कोई भी टिप्पणी करना परेशानी का सबब बन सकता है। भले ही अशोक गहलोत ने न्यायपालिका पर टिप्पणी किस विचार से की थी यह बात अलग है लेकिन फिलहाल तो उन्हें यह कहकर की उनका विचार यह कहने का नहीं था लेकिन फिर भी न्यायपालिका को ठेस पहुंची है तो वह माफी मांगते हैं। कहते हुए माफी मांगनी पड़ी।