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सोनिया क्यों भड़क उठी सचिन पायलट के नाम पर, प्रशांत किशोर हो सकते है सोनिया के नए सलाहकार!
विख्यात रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जब सोनिया गांधी से बातचीत चल रही थी, तब यह मुद्दा उठा कि कांग्रेस को आज ऐसे लोगों की जरूरत है जिनके नाम पर जनता में एक चुम्बकीय आकर्षण हो। इस पर प्रशांत किशोर का कहना था कि "आज के हालात में कांग्रेस के अंदर एकमात्र सचिन पायलट ही ऐसा नाम है जो भीड़ जुटाने की क्षमता रखते है।
सचिन की इतनी तारीफ सुनकर सोनिया जबरदस्त भड़क गई और बोली "हमने आपको सचिन की तारीफ के लिए नही बुलाया है।" बिना आपा खोए प्रशांत किशोर ने कहाकि "मैडम, आप हकीकत को नकार नही सकती है । पूरे देश मे सचिन का जलवा है । मोदी का कद दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है, जबकि सचिन के प्रति लोगों में दीवानगी है।"
पहले तो मैडम भड़की और बाद में शांत होगई । अशोक गहलोत की चर्चा होने पर प्रशांत किशोर ने कहाकि वे एक अच्छे रणनीतिकार होने के साथ राजनीति के माहिर खिलाड़ी है । लेकिन सचिन के मुकाबले वे ज्यादा भीड़ जुटाने में सक्षम नही है । अतः समय आ गया है कि समय रहते सचिन को राजस्थान के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जाए अथवा उनका संगठन में महत्वपूर्ण करना चाहिए । बशर्ते पार्टी राजस्थान में अगला चुनाव जीतने के लिए प्रतिबद्ध हो ।
सभी जानते है कि प्रशांत किशोर बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बात और रणनीति परोसने के लिए विख्यात है। तभी तो वे ममता बनर्जी, शरद पंवार से लेकर सोनिया, राहुल और प्रियंका के लिए रणनीति बनाते है । कैप्टन अमरिंदर सिंह के वे राजनीतिक सलाहकार भी है।
यह खबर भी सुनने में आ रही है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस पार्टी जॉइन कर अहमद पटेल की जगह ले सकते है। पटेल के निधन के बाद कांग्रेस में राजनीतिक शून्यता सी आ गई है। पार्टी नेताओं और सोनिया के बीच संवाद लगभग समाप्त होगया है । फिलहाल कमलनाथ और अशोक गहलोत ही सोनिया के सबसे निकट है।
आलाकमान अब पार्टी के प्रति गंभीर है । लगातार हार और पार्टी से नेताओ का बीजेपी में जाना सुखद नही है । इसलिए सोनिया गांधी चाहती है कि पार्टी की कमान राहुल या प्रियंका संभाले । फिलहाल पार्टी में ऐसा कोई नेता नज़र नही आता है जो सर्वमान्य हो । जी-23 के लोग बदलाव तो चाहते है, लेकिन पार्टी की कमान किसे सौपी जाए, यह उन्हें भी ज्ञात नही है ।
गांधी परिवार से इतर पार्टी की कमान संभालने की कोई योग्यता केवल दो व्यक्तियों में है । एक अशोक गहलोत और दूसरे सचिन पायलट । दोनों की अलग अलग विशेषताएं है । पार्टी को पटरी पर लाना है तो गहलोत या पायलट में से किसी एक को कमान सौंपनी चाहिए । इससे राजस्थान का राजनीतिक संकट भी समाप्त हो जाएगा और पार्टी के बुझते हुए दीपक में तेल भी डल जाएगा ।