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जेल से भागे 16 कैदी, सभी कैदी दौड़ते हुए जेल से निकले और स्कॉर्पियो में बैठकर भाग गए, CCTV में हुए कैद
राजस्थान में एक बड़ा हादसा हुआ है। जोधपुर जिले के फलोदी की जेल से सोमवार रात 16 कैदियों के फरार होने का CCTV फुटेज सामने आया है। इसमें साफ नजर आ रहा है कि जेल ब्रेक की साजिश में सब कुछ प्लान्ड था, क्योंकि जेल से भागते हुए सभी 16 कैदी पहले से बाहर खड़ी स्कॉर्पियो में आकर बैठे गए।
इस पूरी घटना में सुरक्षा गार्डों की भी मिलीभगत की आशंका है। इस घटना के के काफी देर बाद पुलिस-प्रशासन को सूचना दी गई। यही वजह है कि जोधपुर और उससे सटे कई जिलों में पुलिस नाकाबंदी और तलाशी के बाद भी एक भी कैदी का पता नहीं चल सका। जांच के दौरान प्रथमदृष्टया दोषी पाए जाने पर जेल के जेलर नवीबक्स, गार्ड सुनील कुमार, मदनपाल सिंह और मधु देवी को निलंबित कर दिया गया। जोधपुर रेंज के डीआईजी जेल सुरेन्द्र सिंह शेखावत को मामले की जांच सौंपी गई है।
जेल में तैनात गार्डों से पूछताछ
पुलिस जेल में तैनात गार्डों से पूछताछ कर रही है। जेल से आगे की सड़क में लगे CCTV फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि कोई सुराग मिल सके, लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ खाली हैं।
बता दें कि सोमवार रात 8 बजे एक साथ 16 कैदी फरार हो गए थे। दिन में ये कैदी बैरकों के आगे खुली जगह में थे। शाम को इन्हें बैरक में डाला जा रहा था। इसी दौरान अंदर से बंदियों ने गेट का ताला खोल रहे कांस्टेबल, पास खड़े कार्यवाहक जेलर और एक सिपाही को धक्का दिया और बाहर भाग गए। इसके बाद वहां खड़े सिपाही की आंखों में मिर्ची और सब्जी का घोल फेंक दिया, फिर आगे तैनात महिला गार्ड को उठाकर दूसरी ओर फेंक कर फरार हो गए।
सभी कैदी तस्कर थे, इसलिए ग्रामीण रास्तों से वाकिफ
माना जा रहा है कि स्कॉर्पियो से भागने के बाद ये कैदी आगे से अलग-अलग वाहनों में बैठकर ग्रामीण इलाकों के कच्चे रास्तों से निकल गए। भागने वाले ज्यादातर कैदी तस्करी से जुड़े हैं और वे फलोदी इलाके के ही रहने वाले हैं। ऐसे में उन्हें इलाके की पूरी जानकारी है। तस्करी के दौरान भी वे ग्रामीण इलाके के कच्चे रास्तों का इस्तेमाल करते हैं।
मुख्य सड़कों पर नाकाबंदी और जांच को ध्यान में रखते हुए वे शायद इन रास्तों से निकले ही नहीं, इस वजह से पकड़े नहीं गए। एक साथ रहने पर पकड़े जाने की आशंका को देखते हुए वे कच्चे रास्तों से होते हुए अलग-अलग हो गए होंगे। पुलिस इसी थ्योरी को मान रही है। इसे ध्यान में रखते ग्रामीण इलाकों में नजर रखी जा रही है। साथ ही फरार कैदियों के रिश्तेदार और परिजन पर भी नजर है।
इस घटना में पुलिसकर्मियों की मिलीभगत का पूरा शक है। घटना के तुरंत बाद सिपाही मदनपाल (वर्दी में) और राजेंद्र गोदारा (हरे टी शर्ट में) चोटिल महिला सिपाही के पास खड़े थे तब दोनों के कपड़े सही थे, लेकिन आधे घंटे बाद जब ये दोनों अफसरों को बयान दे रहे थे, तब इनके कपड़े फटे हुए थे। इन्होंने बंदियों के साथ धक्का-मुक्की होने की बात कही है।
अंदर का गेट खोला, बाहर के गेट में ताला नहीं था
जेल के दो गेट हैं। बंदियों को बैरकों में डालने और निकालने के वक्त दोनों में से एक पर ताला होना चाहिए, लेकिन सोमवार को घटना के वक्त बाहरी गेट पर ताला नहीं था। ऐसे में बंदियों के सामने न दीवार फांदने की नौबत आई और न ही कोई हथियार चलाने की। कचहरी परिसर में उप-कारागृह सिर्फ विचाराधीन बंदियों को रखने के लिए है। 40x60 फीट के एरिया में ही यह जेल बनी हुई। यहीं SDM कोर्ट है। इतनी छोटी सी जगह में तीन बैरक हैं। साथ ही जेल का ऑफिस और कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर हैं।
17 की क्षमता, बंदी 60 थे, स्टाफ 16 में से सिर्फ 4
जेल में बंदी क्षमता 17 की है, लेकिन जेल में हमेशा ही बंदी ज्यादा रहते हैं। सोमवार को जेल में 60 बंदी थे। जेलर सहित 16 का स्टाफ मंजूर है, लेकिन नियुक्ति 9 की ही है। 3 मार्च काे जेलर के सस्पेंड होने से यह पद भी खाली है। वारदात के समय जेल में 4 कर्मचारी ही थे, जबकि 5 छुट्टी पर बताए गए हैं। जेल की सुरक्षा के लिए अलग से स्टाफ की व्यवस्था नहीं है।
यह जेल SDM ऑफिस से 20 फीट की दूरी पर है। उस वक्त SDM यशपाल आहूजा ऑफिस में ही थे, लेकिन कर्मचारियों ने उन्हें वारदात की सूचना नहीं दी। न शोर मचाया और न ही बंदियों का पीछा करने की कोशिश की।