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आखिर किस बात का जूनून है इस आईएएस अधिकारी को जो सुबह 6 बजे ऑफिस खोल देता है जनता के लिए
जिन्होंने शपथ ले रखी है कि किसी भी सूरत में वे अपने कर्तव्य को पूरी ईमानदारी से पूरा करेंगे। यही वजह रही कि जोधपुर संभागीय आयुक्त कार्यालय सुबह 6:00 बजे एक्टिव हो जाता है। डॉ समित शर्मा की गठित टीमें में सुबह 6:00 बजे फील्ड में हलचल करती दिखाई देती है।
संभवत इस कार्यप्रणाली के हमारे कर्मचारी वर्ग आदि नहीं है। इसीलिए यह कार्यप्रणाली उन्हें पच नहीं रही है। पंचायत राज विभाग हो या चिकित्सा विभाग या आबकारी ऐसे सैकड़ों विभाग है जिनके कर्मचारियों को ड्यूटी का मतलब क्या होता है और ड्यूटी कैसे की जाती है डॉ समित शर्मा उनकी टीमें लगातार सिखा रही है।
ऐसे कई सामने वीडियो आये है जिनमें डॉ समित शर्मा सीधे कार्रवाई करते नजर आ रहे हैं।
इस बार शिक्षित वर्ग यानी शिक्षा विभाग पर डॉ समित शर्मा की नजर पड़ी और उन्होंने एक स्कूल का औचक निरीक्षण किया जिसके बाद कुछ सवाल उनके खिलाफ उठाए जा रहे हैं जो यह है.....
1) शिक्षा विभाग ही क्यों दूसरे विभाग क्या ईमानदारी से काम कर रहे हैं ?
2) कार्यवाही तक तो ठीक है उन्होंने वीडियो वायरल क्यों किया ?
3) स्कूल के शिक्षकों की अच्छाई नहीं दिखी ?
4) सवाल पर सवाल किए उनकी एक नहीं सुनी ?
5 ) इस दौरान पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया कि आप इनको हाईलाइट कर रहे हैं ।
दोस्तों क्योंकि शिक्षा विभाग एक बौद्धिक लोगों की कार्यशैली है पता इस बार बौद्धिक लॉबिंग की गई है।
1 ) सबसे पहले तो मेरी फेसबुक वॉल को टटोलेंगे तो पहले सवाल का जवाब मिल जाएगा, कि शिक्षा विभाग में नहीं बल्कि आबकारी पंचायती राज विभाग और चिकित्सा विभाग पर भी ठीक इसी तरह उन्होंने कार्रवाई की है।
2 ) रही बात वीडियो वायरल करने की तो यह कितना बचकाना सवाल है कि संभागीय आयुक्त खुद वीडियो बनाकर वायरल कर रहे हैं वीडियो वहां मौजूद अन्य अधिकारियों ने बनाया इसके अलावा मीडिया कर्मियों ने बनाया जो वायरल हो रहा है।
3) जहां तक स्कूल अध्यापकों की अच्छाई का सवाल है तो ऐसा कोई भी विभाग नहीं है जिसमें अच्छे कर्मचारी नहीं, अच्छाई भी दिखती है जो लॉबिंग कर रहे हैं वह खुद अखबारों की कटिंग जारी कर रहे हैं तो उनको पता होना चाहिए कि मीडिया अच्छाई भी दिखाती है और जो बुरा है उसे भी दिखाएंगे जहां गलती है वहां ड्यूटी में कोताही है इस बात को समझना पड़ेगा।
4) चौथा सवाल है कि उन्होंने सवाल पर सवाल किए उनको सुना नहीं जब आपने 7:00 बजे विद्यालय में प्रवेश किया 8:30 बज रहे हैं तब तक अनुपस्थित शिक्षकों की अनुपस्थिति नहीं दर्शाई इसका क्या तात्पर्य निकलता है जबकि नियम यह है कि विद्यालय में प्रवेश करते ही सबसे पहले हाजिरी रजिस्टर में हस्ताक्षर किए जाते हैं। अब इसी को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं यदि आपकी तनख्वाह पूछ ली तो क्या गलती कर दी आप भी वापस पूछ लेते कि आपको क्या तनखा मिलती है तो शायद आपको पता चल जाता कि जोधपुर से 8:30 बजे वे इस विद्यालय में पहुंचे हैं तो अपने घर कितने बजे निकले होंगे ?
और जो इमानदारी से काम कर रहा है उसे सवाल पूछने का अधिकार है।
5 ) अक्सर पत्रकारों पर सवाल उठाया गया और इस मुद्दे पर भी सवाल उठाया गया कि पत्रकार डॉ समीर शर्मा को ग्लोरिफाई कर रहे हैं। बिल्कुल कर रहे हैं और करना भी चाहिए कोई व्यक्ति यदि ईमानदारी से सिस्टम को सुधारने में लगा है और उसको यदि प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा तो क्या केवल बेईमानों को पहचान लिया जाएगा इन्हीं पत्रकारों ने शिक्षकों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों को भी छापा है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह सामने आ रही है कि शिक्षा विभाग के शिक्षकों की छवि खराब हो रही है। और यह सवाल मुझसे कई शिक्षकों ने फोन कर देते जब पूछा और शिक्षकों की छवि खराब करने का ठीकरा हम पर फोड़ने का प्रयास किया।
एक पत्रकार होने के नाते इसका मैं यह जवाब दूंगा कि कई पत्रकार ब्लैकमेल कर रहे हैं कई पत्रकार गलत कार्यों में संलिप्त है इससे ईमानदार पत्रकारों की छवि खराब कैसे हो सकती है ठीक इसी तरह से जो शिक्षक अच्छा काम कर रहे हैं तो उनकी छवि बुरा काम करने वालों से कैसे खराब हो सकती है ?
यदि हम स्वयं के प्रति ईमानदार हैं तो शायद यह सवाल खड़ा ही नहीं होता। इसलिए यह समय आत्ममंथन करने का है कीचड़ नहीं उठा ले जो अधिकारी ईमानदारी से काम कर रहे हैं उनके काम की सराहना करें।
और यदि आप एक राजपत्रित अधिकारी है तो उनके वर्किंग स्टाइल से कुछ सीखे और अपने ऑफिस मैं भी यही तरीका अपनाएं संभवत इस संभाग का भला हो जाएगा। विरोध करने वाले थोड़ी शर्म करो।
मनोज शर्मा