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Kota News: कोटा में बच्चों की आत्महत्या के 10 बड़ी वजह, जिन पर सरकार, कोचिंग संस्थानों, हॉस्टल और परिवार को ध्यान देने की ज़रूरत है
विशाल पाण्डेय वरिष्ठ पत्रकार
कोटा से एक बार फिर कोचिंग छात्रों की आत्महत्या की दुःखद ख़बरें आ रही हैं. कुछ महीनों पहले मैंने कोटा में ग्राउंड ज़ीरो से KotaFactory को बेनक़ाब और बच्चों के असल मुद्दों पर ग्राउंड रिपोर्ट की थी.
कुछ प्रमुख समस्याएँ हैं, जिस तरफ़ सरकार, कोचिंग संस्थानों, हॉस्टल और परिवार को ध्यान देने की ज़रूरत हैः
1. बच्चे की रूचि के बग़ैर उसे इंजीनियर और डॉक्टर बनाने का प्रेशर ना बनाएँ.
2. कई पैरेंट्स अपने बच्चों को कोटा भेजने के बाद उनसे कई महीनों तक मिलने नहीं जाते हैं, इस कारण से बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं और पढ़ाई का ज़्यादा बोझ अपने ऊपर ले लेते हैं. बच्चों से माता पिता, भाई-बहन हमेशा रोज़ संवाद करें.
3. कुछ कोचिंग संस्थान सपनों को बेचने का काम करते हैं, ज़्यादा होशियार बच्चों को अलग से पढ़ाएँगे और औसत बच्चों को अलग से. यहाँ से हीन भावना की शुरूआत होती है और बच्चे ग़लत क़दम उठा लेते हैं
4. कोचिंग संस्थानों के लिए बेहद सख़्त नियम बनाने की आवश्यकता है, नियम बनाने के साथ साथ उनका पालन कराना भी ज़रूरी है
5. कोचिंग सेंटर को बच्चों के बीच भेदभाव ख़त्म करना होगा
6. हॉस्टल संचालकों को निरंतर बच्चों के माता पिता से संवाद की आवश्यकता है
7. कोचिंग सेंटर को लगातार हॉस्टल संचालकों से संवाद की आवश्यकता है
8. कोचिंग संस्थानों की फ़ीस रेग्युलेट करना अति आवश्यक है
9. कोचिंग संस्थानों के लुभावने विज्ञापन पर तत्काल रोक लगाएँ, कोटा की सड़कों पर पोस्टर ही पोस्टर दिखेंगे जहां एक से बढ़कर लच्छेदार और लुभावने शब्दों पर गारंटी वाले विज्ञापन दिए गए हैं
10. सरकार को 75% कट ऑफ मार्क वाले नियम पर भी विचार करने की आवश्यकता है. छात्रों की बड़ी माँग रही है कोटा में.
अंत में शिक्षा का व्यापारीकरण बंद होना देश और समाज के हित में बेहद ज़रूरी कदम है.
कोटा में लगातार हो रहे सुसाइड को रोकने के लिए प्रशासन और सख्त होता जा रहा है. अब तक सामने आया है कि अधिकांश बच्चे पंखे से फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड करते हैं. ऐसे में सभी हॉस्टल, पीजी और जहां भी बच्चे कोचिंग के लिए बाहर से आकर रह रहे हैं, वहां सभी जगह पंखों के लिए स्प्रिंग डिवाइस लगानी होगी ताकी सुसाइड को रोका जा सके.जिला कलक्टर ने एक आदेश जारी कर सभी को पाबंद किया है कि वह जल्द पंखों के लिए स्प्रिंग डिवाईस लगवा लें नहीं तो सख्त कार्रवाई की जाएगा. यह डिवाइस न लगवाने पर हॉस्टल को सीज भी किया जा सकता है.
क्या कहना है कलेक्टर का
जिला कलक्टर ओपी बुनकर ने इसके लिए आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि कोटा के कोचिंग संस्थानों पर प्रभावी नियंत्रण और उनके विद्यार्थियों को मानसिक तौर पर सम्बलन व सुरक्षा देने की जरूरत है. विद्यार्थियों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए सभी हॉस्टलों और पीजी के हर कमरे में पंखों को लटकाने के लिए स्प्रिंग डिवाइस का उपयोग किया जाए.
कोटा में कितने बच्चे पढ़ रहे हैं
कोटा में इस समय करीब दो लाख बच्चे रह कर पढ़ाई कर रहे हैं. इन बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रशासन, पुलिस प्रशासन, हेल्प लाइन, कोचिंग संस्थाओं की ओर से काउंसलर, मैसेज सिस्टम के साथ कई तरह ध्यान दिया जाता है. इस दिशा में हॉस्टल संचालक, हॉस्टल ऐसोसिएशन के साथ स्वयं सेवी संस्थाएं भी काम कर रही हैं. उसके बाद भी सुसाइड होना चिंता का विषय है.