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महेश झालानी
आलाकमान की ओर से राजस्थान में पिछले तीन साल से चले आ रहे घमासान का निपटारा 20 अक्टूबर के बाद किये जाने की संभावना है। इस दफा आरपार का निर्णय होने की संभावना है । राजस्थान में क्या निर्णय लेना है, इस पर सोनिया गांधी और राहुल के बीच विस्तार से चर्चा हो चुकी है । ऐसे संकेत मिले है कि आलाकमान द्वारा कठोर निर्णय लिया जा सकता है जो भविष्य के लिए एक मिसाल बन सके ।
आलाकमान राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के बीच राजस्थान में कोई पर्यवेक्षक भेजकर कोई बखेड़ा उत्पन्न नही करना चाहता है । इसलिए 20 अक्टूबर के आसपास नए सिरे से विधायको की राय जानने के बाद एक लाइन का प्रस्ताव पारित कराने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी । दिल्ली से जो खबर मिली है, उसके मुताबिक दो या तीन पर्यवेक्षक आ सकते है । यह तय हो चुका है कि अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे से इतर व्यक्ति होंगे ।
बगावती विधायकों की ओर से 25 सितम्बर को पर्यवेक्षको के समक्ष तीन शर्ते रखी गई थी । पहली शर्त यह थी कि कोई भी निर्णय लिया जाए, उसकी क्रियान्विति 19 अक्टूबर के बाद होनी चाहिए । इस शर्त का 20 अक्टूबर के बाद कोई औचित्य नही रहेगा । दूसरी शर्त थी कि सामूहिक रूप से विधायकों की राय ली जानी चाहिए । आलाकमान ने इस शर्त को खारिज कर दिया है । अब एक एक विधायकों को कमरे के अंदर बुलाकर उनसे गुप्त राय लेने की योजना है । हो सकता है कि विधायको से पर्ची पर राय व्यक्त करने को कहा जाए ।
गहलोत गुट की ओर से तीसरी शर्त रखी गई थी मानेसर जाने वालों के अलावा 102 विधायको में से किसी को भी नया सीएम बनाया जाए । राहुल गांधी इस शर्त पर फिलहाल सहमत नही है । उनका मानना है कि कोई भी निर्णय सशर्त नही होगा । पार्टी के हित मे जो भी उचित लगेगा, वही निर्णय लिया जाएगा । आलाकमान यह बखूबी जान चुका है कि गहलोत के तेवर बगावती हो चुके है । ऐसे में वे फिर कोई नया दांव खेल सकते है । इसलिए गहलोत को घेरने की पुख्ता योजना को अंजाम दिए जाने के प्रयास जारी है ।
उधर सचिन पायलट ने जन सम्पर्क बढ़ाने के साथ साथ विधायको से मेलजोल भी बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया है । खबर मिली है कि 54 विधायक सचिन के संपर्क में आ चुके है और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि गुप्त राय ली जाएगी तो वे उनको समर्थन देंगे । इसके अलावा अनेक विधायको ने सोनिया गांधी को खत लिखकर पायलट के प्रति समर्थन व्यक्त किया है । सोनिया को लिखे तीन पेज के पत्र में एक बुजुर्ग विधायक ने गहलोत के कार्यकाल के भ्रस्ट क्रियाकलापो का विस्तार से उल्लेख किया है । विधायक ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि गहलोत के नेतृत्व में चुनाव होते है तो 40 सीट जीतना भी बहुत मुश्किल होगा । उधर सचिन और प्रतापसिंह खाचरियावास की मुलाकात को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है ।