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राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा है कि मैंने अपने वकील से सुप्रीम कोर्ट में अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के लिए कहा है। इतना ही नहीं उन्होंंनें साफ किया है कि सचिन पायलट और अन्य 18 कांग्रेस विधायकों को स्पीकर के पास कारण बताओ नोटिस भेजने का पूरा अधिकार है।
आपको बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट अध्यक्ष द्वारा भेजे गए दलबदल नोटिस के खिलाफ 19 कांग्रेस विधायकों की संयुक्त याचिका पर सुनवाई कर रहा है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने मामले को आवश्यक आदेश 24 जुलाई को पारित करेगा। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि हम स्पीकर से अनुरोध करते हैं कि वह इस अदालत के आदेश आने तक 24 जुलाई विधायकों को दिए नोटिस की तारीख को आगे बढ़ाए।
स्पीकर ने हाईकोर्ट द्वारा आदेश में 'निर्देश' शब्द के उपयोग करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि नोटिस जारी होने के बाद उसमें कानूनी हस्तक्षेप ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि स्पीकर की जिम्मेदारियों को सुप्रीम कोर्ट और संविधान द्वारा अच्छी तरह से परिभाषित किया गया है। अध्यक्ष के रूप में मुझे एक आवेदन मिला और इस पर जानकारी प्राप्त करने के लिए, मैंने कारण बताओ नोटिस जारी किया। यदि कारण बताओ नोटिस प्रशासन द्वारा जारी नहीं किया जाएगा, तो प्रशासन का काम क्या है।
Speaker's responsibilities are well defined by Supreme Court & Constitution. As Speaker I got an application & to seek info on it, I issued show-cause notice. If show cause notice will not be issued by authority, then what is the work of authority: Rajasthan Assembly Speaker https://t.co/FhZCQ3APUN
— ANI (@ANI) July 22, 2020
जोशी ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि कोरोना वायरस संक्रमण के बाजवूद इस संवैधानिक संकट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का संज्ञान लेगा। ताकि यह सुनिश्चित हो कि एक अथॉरिटी अपनी भूमिकाओं का निर्वहन संवैधानिक व्यवस्था के तहत कर सके।
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने आग्रह पर सहमति जताई और अयोग्यता नोटिस पर अपना फैसला शुक्रवार शाम तक के लिए टाल दिया। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की खंड पीठ ने मंगलवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी की अंतिम दलीलें सुनीं और इसके बाद कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामथ का जवाब भी सुना।
कामथ ने दलील दी कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने से इंकार करने के चलते विधायकों ने संविधान की 10वीं अनुसूची के पैरा 2(1)(ए) के तहत अयोग्य ठहराए जाने का आचरण किया। उन्होंने कहा कि 10वीं अनुसूची सदन के बाहर के आचरण पर लागू होती है। उन्होंने 10वीं अनुसूची पर संसदीय समिति की रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि पार्टी अनुशासन तोड़ने वालों को दंडित किया जाना चाहिए।
मामले में मंगलवार को दलीलें सुनी गईं और यह संपन्न हो गईं। सभी पक्षों को शुक्रवार तक लिखित में अपनी दलील पेश करने को कहा गया है। विधानसभा अध्यक्ष के वकील ने कहा, ''अदालत अब 24 जुलाई को उपयुक्त आदेश जारी करेगी । विधानसभा अध्यक्ष से भी शुक्रवार तक नोटिस पर कार्रवाई टालने का आग्रह किया गया है।
अदालत ने मामले में प्रतिवादी के तौर पर शामिल करने के लिए तीन अन्य पक्षों की अर्जी भी स्वीकार ली। वकील ने कहा कि 24 जुलाई को साफ होगा कि अदालत अंतिम आदेश देती है या अंतरिम आदेश। इससे पहले वकीलों ने संवाददाताओं से कहा था कि आदेश सुरक्षित रख लिया गया है।