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राजस्थान से ISI के दो जासूस गिरफ्तार, हथियार और सेना की गोपनीय जानकारी साझा करने का आरोप
राजस्थान के बीकानेर और श्रीगंगानगर जिलों में जासूसी के एक मामले में दो संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस सूत्रों ने सोमवार (8 जून) को यह जानकारी दी। राजस्थान पुलिस की खुफिया इकाई ने श्रीगंगानगर जिले में सेना आयुध डिपो के सिविल डिफेंस स्टाफ 29 वर्षीय विकास कुमार और बीकानेर में सेना के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (एमएमएफआर) के एक संविदा कर्मचारी (सिविल कॉन्ट्रेक्ट) के रूप में पर काम कर रहे 22 साल के चिमन लाल को गिरफ्तार किया है।
ये दोनों पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (आईएसआई) के जासूसी एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। दोनों संदिग्धों पर बीते कई दिन से नजर रखी जा रही थी। राजस्थान पुलिस की खुफिया इकाई ने लखनऊ के मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) द्वारा दिए गए खुफिया इनपुट के आधार पर यह कार्रवाई की।
खुफिया विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने कहा, "दोनों आरोपियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से जुड़ी गोपनीय जानकारी साझा करते हुए पाया गया। दोनों को शासकीय गोपनीयता कानून 1923 की प्रासंगिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। आगे की जांच चल रही है।" श्रीगंगानगर में आयुध डिपो और बीकानेर में एमएमएफआर दोनों ही रणनीतिक रूप से भारत के पश्चिमी क्षेत्र में महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान हैं।
अगस्त 2019 में एमआई लखनऊ को ग्राहकों के माध्यम से जासूसी एजेंट विकास कुमार के बारे में पता चला था, जो पाकिस्तान में अपने संचालकों को सैन्य जानकारी दे रहा था। कुमार को मुल्तान की महिला पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (पीआईओ) ने फेसबुक के जरिए ट्रैप किया था। पीआईओ भारत की एक हिंदू महिला 'अनुष्का चोपड़ा' नाम से फेसबुक अकाउंट चला रही थी।
एमआई यूनिट ने यह पता लगाया है कि कुमार ओरबेट (ऑर्डर ऑफ बैटल, कंपोजिशन एंड ऑर्डर ऑफ अ मिलिटरी फाइटिंग फॉमेर्शन), गोला- बारूद (फोटो, राज्य, मात्रा, प्रकार, आगमन, प्रस्थान) से संबंधित सैन्य जानकारी दे रहा था। इसके अलावा फायरिंग अभ्यास/मिलिट्री एक्सरसाइज के लिए आने वाली सैन्य इकाइयों के बारे में भी बताता था। इसके बदले उसने पैसे भी लिए। यह भी पाया गया कि कुमार को अपने तीन बैंक खातों और अपने भाई के बैंक खाते में भुगतान प्राप्त हो रहा था।
एमआई की लखनऊ इकाई ने जनवरी, 2020 में उत्तर प्रदेश के आतंकवाद-रोधी दस्ते के साथ यह मामला साझा किया, जिसके बाद कुमार को 'डेजर्ट चेज' नामक ऑपरेशन कोड के तहत दोनों कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से निगरानी और विश्लेषण किया गया।