धर्म-कर्म

सुंदरकांड सें जुङी 5 अहम बातें जो कोई नहीं जानता !

सुंदरकांड सें जुङी 5 अहम बातें जो कोई नहीं जानता !
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वाल्मीकि रामायण में तो इसका महत्व है ही इसके अतिरिक्त तुलसीदास जी की राम चरित मानस में भी इस कांड की व्याख्या बड़े ही रोचक ढंग से की गई है। ऐसा माना जाता है कि इस पाठ का वाचन करने से जातक को सिर्फ हनुमान जी का नहीं, अपितु मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है

सम्पूर्ण रामायण को वाल्मीकि जी ने कई खंडो में विभक्त कर प्रस्तुत किया है। इसमें राम जी के जन्म से लेकर उम्र के हर पड़ाव को दर्शाने का प्रयास किया है। इस सभी खंडो में सुंदर कांड का खासा महत्व रहा हैं क्योंकि इसमें राम भक्त परमवीर हनुमान जी को बताया गया है। हिन्दू धर्म मे सुंदर कांड पाठ का इतना महत्व है कि लोग इस पाठ का वाचन किसी शुभ कार्य को करने से पहले करातें है।

वाल्मीकि रामायण में तो इसका महत्व है ही इसके अतिरिक्त तुलसीदास जी की राम चरित मानस में भी इस कांड की व्याख्या बड़े ही रोचक ढंग से की गई है। ऐसा माना जाता है कि इस पाठ का वाचन करने से जातक को सिर्फ हनुमान जी का नहीं, अपितु मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है, क्योंकि जो भी जातक हनुमान का जाप करता है, उस पर भगवान राम स्वयं कृपा दृष्टि बरसाते रहते हैं।'

किसी भी प्रकार की परेशानी हो सुंदरकाण्ड कें पाठ सें दुर हो जाती हैं , यह ऐक श्रेष्ठ और सरल उपाय है , इसी वजह सें काफी लोग सुंदरकाणड का पाठ नियमित रूप सें करते हैं , हनुमानजी जो कि वानर थें , वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए वहां सीता की खोज की , लंका को जलाया सीता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए , यह ऐक भक्त की जीत का काण्ड हैं , जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है , सुंदरकाणड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं , इसलिए पुरी रामायण में सुंदरकाण्ड को सबसें श्रेष्ठ माना जाता हैं , क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता हैं , इसी वजह सें सुंदरकाणड का पाठ विषेश रूप सें किया जाता हैं !! सुंदरकाणड सें जुङी 5 अहम बातें जो कोई नहीं जानता !

1 :- सुंदरकाण्ड का नाम सुंदरकाण्ड क्यों रखा गया ?

हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थें और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी ! त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थें ! पहला सुबैल पर्वत, जहां कें मैदान में युद्ध हुआ था ! दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों कें महल बसें हुए थें ! और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका नीर्मित थी ! इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी ! इस काण्ड की यहीं सबसें प्रमुख घटना थी , इसलिए इसका नाम सुंदरकाणड रखा गया है !

2 :- शुभ अवसरों पर ही सुंदरकाण्ड का पाठ क्यों ?

शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस कें सुंदरकाण्ड का पाठ किया जाता हैं ! शुभ कार्यों की शुरूआत सें पहलें सुंदरकाण्ड का पाठ करनें का विशेष महत्व माना गया है ! जबकि किसी व्यक्ति कें जीवन में ज्यादा परेशानीयाँ हो , कोई काम नहीं बन पा रहा हैं, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो , सुंदरकाणड कें पाठ सें शुभ फल प्राप्त होने लग जाते है, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकाणड करनें की सलाह देते हैं !

3 :- जानिए सुंदरकाण्ड का पाठ विषेश रूप सें क्यों किया जाता हैं ?

माना जाता हैं कि सुंदरकाणड कें पाठ सें हनुमानजी प्रशन्न होतें है ! सुंदरकाण्ड कें पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती हैं !जो लोग नियमित रूप सें सुंदरकाण्ड का पाठ करतें हैं , उनके सभी दुख दुर हो जातें हैं , इस काण्ड में हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल सें सीता की खोज की हैं ! इसी वजह सें सुंदरकाण्ड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता हैं !

4 :- सुंदरकाण्ड सें मिलता हैं मनोवैज्ञानिक लाभ ?

वास्तव में श्रीरामचरितमानस कें सुंदरकाण्ड की कथा सबसे अलग हैं , संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम कें गुणों और उनके पुरूषार्थ को दर्शाती हैं , सुंदरकाणड ऐक मात्र ऐसा अध्याय हैं जो श्रीराम कें भक्त हनुमान की विजय का काण्ड हैं ! मनोवैज्ञानिक नजरिए सें देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला काण्ड हैं , सुंदरकाण्ड कें पाठ सें व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं , किसी भी कार्य को पुर्ण करनें कें लिए आत्मविश्वास मिलता हैं !

5 :- सुंदरकाण्ड सें मिलता है धार्मिक लाभ ?

सुंदरकाणड कें लाम सें मिलता हैं धार्मिक लाभ हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पुर्ण करनें वालीं मानी गई हैं , बजरंगबली बहुत जल्दी प्रशन्न होने वालें देवता हैं , शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताएं गए हैं , इन्हीं उपायों में सें ऐक उपाय सुंदरकाण्ड का पाठ करना हैं , सुंदरकाण्ड कें पाठ सें हनुमानजी कें साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती हैं !


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