धर्म-कर्म

बसंत पंचमी आज, पढ़ें- व‍िद्या की देवी सरस्‍वती की बंदना और मन्त्र, ये उपाय करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती

Arun Mishra
16 Feb 2021 8:31 AM IST
बसंत पंचमी आज, पढ़ें- व‍िद्या की देवी सरस्‍वती की बंदना और मन्त्र, ये उपाय करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती
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आइए जानते हैं बसंत पंचमी को देवी सरस्‍वती की आराधना के लिए खास मानी जाने वाली ये वंदनाएं और मंत्र...

आज वसंत पंचमी पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व पर तिथि, वार और ग्रह-नक्षत्रों से मिलकर 8 शुभ योग बन रहे हैं। इनके अलावा सरस्वती योग भी बन रहा है इसमें देवी शारदा की पूजा करना विशेष शुभ रहेगा। इस पर्व पर बन रहे शुभ संयोग में देवी सरस्वती की पूजा करना शुभ रहेगा वहीं खरीदी, स्कूल, कोचिंग क्लास, नई दुकान और शोरूम की शुरूआत पर पूजा और मांगलिक काम भी किए जा सकते हैं।

इस दिन सरस्वती पूजा के अलावा भगवान विष्णु और कामदेव की भी पूजा की जाती है। बसंत पंचमी का दिन नई विद्या, कला, संगीत आदि सीखने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। छोटे बच्चों की पढ़ाई भी इसी दिन से शुरू करवाई जाती है। इस दिन गृह प्रवेश या नए मकान बनाने का काम भी शुरू करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बसंत पंचमी को कामदेव पत्नी रति के साथ धरती पर आकर हर तरफ प्रेम का संचार करते हैं।

माघ माह की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी कहते हैं और इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है. नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से संवर जाती है. खेतों में सरसों के पीले फूलों की चादर बिछी होती है और कोयल की कूक से दसों दिशाएं गुंजायमान रहती है. बसंत पंचमी को मां सरस्वती का दिन माना जाता है. इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है. इस बार बसंत पंचमी का पर्व 16 फरवरी को मनाया जा रहा है.

बसंत पंचमी पर ग्रह मजबूत करने के 10 उपाय

1. कुंडली में अगर बुध कमजोर हो तो बुद्धि कमजोर हो जाती है

2. ऐसी दशा में मां सरस्वती की उपासना करें

3. मां को हरे फल अर्पित करें तो लाभदायक होगा

4. बृहस्पति के कमजोर होने पर विद्या प्राप्त करने में बाधा आती है

5. ऐसे में बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करें

6. पीले पुष्प और पीले फलों से मां की उपासना करें

7. अगर शुक्र कमजोर हो तो मन की चंचलता भी होती है

8. करियर का चुनाव भी नहीं हो पाता है

9. ऐसी दशा में आज के दिन मां की उपासना करें

10. सफेद फूलों से मां की उपासना करना लाभदायक होता है.

पढ़ें व‍िद्या की देवी सरस्‍वती की ये वंदना और मंत्र

वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्‍वती का प्राकट्य दिवस माना जाता है. प्रत्येक साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. आज 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी मनाई जा रही है.

आइए जानते हैं बसंत पंचमी को देवी सरस्‍वती की आराधना के लिए खास मानी जाने वाली ये वंदनाएं और मंत्र...

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा

अर्थ: जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं. जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है. ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें.

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌

अर्थ : जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं. मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूं.

ये हैं सरस्‍वती आराधना के प्रमुख मंत्र

सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

नमस्ते शारदे देवी, सरस्वती मतिप्रदे

वसत्वम् मम जिव्हाग्रे, सर्वविद्याप्रदाभव

नमस्ते शारदे देवी, वीणापुस्तकधारिणी

विद्यारंभम् करिष्यामि, प्रसन्ना भव सर्वदा

ॐ श्री सरस्वतीं शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्

वह्निशुद्धां शुक्लाधानां वीणापुस्तकधारिणीम्

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:

वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:

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