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Diwali : दीपावली के जश्न में डूबा देश: जानिए- कैसे करें माता लक्ष्मी का पूजन और क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Diwali : दीवाली का त्योहार आज पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। दीपावली या दिवाली हिन्दुओं का एक प्राचीन त्योहार है जिसे सदियों से देशभर में प्रकाश के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्री गणेश, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है। हिन्दुओं के अलावा सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी दीवाली धूमधाम से मनाते हैं।
दिवाली 2022 मुहूर्त
काशी विश्वनाथ ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर दिन रविवार को शाम 05 बजकर 04 मिनट से प्रारंभ हो रही है और यह तिथि अगले दिन 25 अक्टूबर सोमवार को शाम 04 बजकर 35 मिनट तक मान्य है।
दीपावली पूजन की सामग्री
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ।
पूजा विधि -
दिवाली के दिन सबसे पहले सुबह उठकर एक बार फिर से घर के हर कोनों की साफ-सफाई करें। इसके बाद स्नान करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद घर को अच्छे तरीके से सजाएं और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। घर के मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार से सजाएं और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का निशान बना दें। फिर शाम होते ही पूजा की तैयारी में लग जाएं। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर गंगाजल का छिड़काव करते हुए देवी लक्ष्मी,भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ मां सरस्वती और कुबेर देवता की प्रतिमा स्थापित करें। सभी तरह के पूजन सामग्री को एकत्रित कर चौकी के पास जल से भर कलश रख दें। इसके बाद शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा आरंभ कर दें। विधि-विधान और परंपरा के अनुसार लक्ष्मी पूजन करें। महालक्ष्मी की पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और पुस्तकों की पूजा करें। अंत में माता लक्ष्मी की आरती करके घर के सभी हिस्सों में घी और तेल दिलाएं।