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भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी न करें ये ग़लतियाँ, जानें इस दिन व्रत करने के नियम
शास्त्रों के अनुसार सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन व्रत करने से भगवान शिव और देवी पार्वती प्रसन्न होते हैं। सोमवार का व्रत बेहद ही सरल होता है, लेकिन इस व्रत को करने के कुछ नियम हैं। उन नियमों का पालन करना आवश्यक है। कई बार सोमवार के व्रत और पूजन में अक्सर लोगों से कुछ ग़लतियाँ हो जाती हैं। कहते हैं कि इन ग़लतियों कि वजह से व्रत का फल नहीं मिल पाता।
-सोमवार व्रत के नियम
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्त्व होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर, संभव हो तो मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें और व्रत की कथा ज़रूर सुनें। हिन्दू धर्म के अनुसार, सोमवार के व्रत में तीन पहर में से एक बार ही भोजन करना चाहिए। व्रत में फलाहार लिया जा सकता है।
-सोमवार व्रत के प्रकार
सोमवार का व्रत तीन प्रकार का होता है। जिसमें प्रति सोमवार व्रत, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार व्रत शामिल हैं। तीनों ही व्रतों का विधि-विधान और पूजा के नियम एक समान ही हैं। इनमें दिन में एक बार ही भोजन करना चाहिए।
-शिवजी की पूजा में न करें ये ग़लतियाँ
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और इस दिन व्रत करने से भगवान ख़ुश होकर भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। लेकिन शिवजी की पूजा में भूलकर भी ऐसी ग़लती न करें।
-शिवजी की पूजा में दूध से जलाभिषेक किया जाता है। ध्यान रखें कि ग़लती से भी तांबे के लोटे में दूध न डालें। तांबे के बर्तन में दूध डालने से दूध संक्रमित हो जाता है और चढ़ाने योग्य नहीं रहता।
-शिवलिंग पर दूध, दही, शहद या कोई भी वस्तु चढ़ाने के बाद जल ज़रूर चढ़ाएं, तभी जलाभिषेक पूर्ण होता है।
-शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर कभी भी रोली व सिंदूर का तिलक नहीं करना चाहिए। शिवलिंग पर हमेशा चंदन का ही तिलक करें।
-भगवान शिव के मंदिर में परिक्रमा करते समय ध्यान रखें कि कभी भी पूरी परिक्रमा न लगाएं। जहां से दूध बहता है वहां रूक जाएं और वापस घूम जाएं।