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महाशिवरात्रि पर कर लें यह पाठ, हर मनोकामना होगी पूर्ण
"हाथों में डमरू और गले में नाग विराजे है, तीनों लोकों में महादेव, शिव शम्भू का डंका बाजे है!" देवों के देव कहे जाने वाले भगवान शिव, अपने भक्तों पर समान रूप से कृपा करते हैं और उनकी रक्षा के लिए सदैव उपस्थित रहते हैं। फिर चाहे वे भक्त, देव हों या राक्षस या फिर मानव। उनकी कृपा का फल समान रूप से सबको प्राप्त होता है। भगवान शिव एक ऐसे देव हैं, जो शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसी कारण, उन्हें, आशुतोष भी कहा जाता है।
शिवरात्रि के दिन, जो कोई भक्त, भगवान शिव की आराधना करता है, भोले शंकर उसके सुभी दुखों को हरकर उसे सुख, प्रसन्नता और आर्थिक समृद्धि प्रदान करते हैं। कहते हैं शिवरात्रि के मौके पर किया गया रुद्राभिषेक, जप, पूजा और पाठ का फल चार पहर की पूजा के बराबर प्राप्त होता है। यूं तो पूरे वर्ष में बारह शिवरात्रि होती हैं, यानी हर माह में शिव तेरस के दिन मासिक शिवरात्रि होती है, किंतु फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को होने वाली महाशिवरात्रि का महत्व इन सबसे अलग हटकर विशेष माना गया है। माना जाता है कि इस दिन भोले भंडारी के शिवलिंग, पृथ्वी पर जहां कहीं भी हैं, वे, उनमें वास करते हैं। इस बार शिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023, शनिवार के दिन मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि का दिन, भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन, शनि ग्रह अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहेंगे। ऐसा दुर्लभ संयोग 30 साल बाद बन रहा है। इसके अलावा भी महाशिवरात्रि पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस शुभ योगों के चलते भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि-विधान से पूजा-पाठ एवं मंत्र जाप करना बहुत लाभ देगा। शिवपुराण के अनुसार कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन, पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करना शुभ फलदायी होता है।
पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व
मान्यता है कि पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से भगवान भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के सारे कष्ट हर लेते हैं। कहते हैं कि इस स्तोत्र का पाठ, व्यक्ति की अकाल मृत्यु को टालता है और साथ ही उसे कालसर्प दोष से राहत देता है। महाशिवरात्रि के दिन, पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति के सारे संकट दूर होते हैं।
शिव पंचाक्षर स्तोत्रम्
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम:शिवाय॥1॥
मंदाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथ महेश्वराय।
मण्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नम:शिवाय॥2॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय बृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम:शिवाय॥3॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम:शिवाय॥4॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम:शिवाय॥5॥
पञ्चाक्षरिमदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥6॥
इस स्तोत्र के पाँचों श्लोकों में क्रमशः न, म, शि, वा और य अर्थात नम: शिवाय है। यह पूरा स्तोत्र शिवस्वरूप है। माना जाता है कि जो कोई, भगवान शिव के इस पंचाक्षर मंत्र का नित्य उनके समक्ष पाठ करता है, वह, भगवान शिव के पुण्य लोक को प्राप्त करता है और उनका आशीर्वाद सदैव उस व्यक्ति पर बना रहता है।