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Ekadashi Vrat 2023: जानिए कब है सावन की आखिरी एकादशी? क्या है पूजा का समय।क्या है सही पारण की विधि?
Sawan Ekadashi Vrat 2023: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है और आपका घर धन से भर जाता है। ऐसे में यह एकादशी हर महीने में दो बार आती है।इस अगस्त की एक एकादशी हो चुकी है अब दूसरी एकादशी कब है
तो आईए जानते हैं यह एकादशी सावन की आखिरी एकादशी भी होगी सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।इसे पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों में एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है।एक सावन महीने के शुक्ल पक्ष में और दूसरा पौष मास के शुक्ल पक्ष में। हालांकि इन दोनों ही एकादशी हो का महत्व समान रूप से है।धार्मिक मान्यताओं में यह बताया गया है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले लोग संतान की प्राप्ति करते हैं और उनकी संतान की लंबी आयु होती है और उनका जीवन भी सुखद बीतता है।
आपको बता दे की साल में कुल 24 एकादशी होती है लेकिन जब अधिक मास या मलमास पड़ता है तो इसकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। 18 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक अधिक मास यानी मलमास था जिसमें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पुरुषोत्तम एकादशी कहा गया था। इन्हीं दो एकादशी को मिलकर जब अधिक मास होता है तो 26 एकादशी हो जाती हैं।
पुत्रदा एकादशी व्रत 2023 पूजा शुभ मुहूर्त और पारण का समय
शुक्ल एकादशी तिथि आरंभ- 27 अगस्त 2023 को प्रात 12 बजकर 08 मिनट पर
शुक्ल एकादशी तिथि समापन - 27 अगस्त 2023 को रात 9 बजकर 32 मिनट पर
पुत्रदा एकादशी व्रत तिथि- 27 अगस्त 2023
एकादशी व्रत पारण समय - 28 अगस्त 2023 को सुबह 5 बजकर 57 मिनट से सुबह 8 बजकर 31तक
पुत्रदा एकादशी का महत्व
पुत्रदा एकादशी का व्रत केवल पुत्र प्राप्ति के लिए ही नहीं बल्कि संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है।संतान पुत्र भी हो सकता है या पुत्री भी। पुराणो के अनुसार एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए।इससे व्यक्ति ऐश्वर्या, संपत्ति, स्वर्ग, मोक्ष सब कुछ पाया जाता है।यह व्रत हर किसी को जरूर करना चाहिए। वही लोग संतान और अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए भी यह व्रत रखते हैं ।जो लोग जीवन में तरक्की पाना चाहते हैं उन्हें भी यह व्रत जरूर रखना चाहिए। उन लोगों के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत किसी वरदान से कम नहीं है.