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परस्पर शत्रु होंगे इस वर्ष राजा और मंत्री, जानिये क्या होगा फल ?
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवसंवत्सर( नयावर्ष) का आरम्भ होता है, यह अत्यंत पवित्र तिथि है। इसी तिथि से पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया था। युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ भी इसी तिथि को हुआ था। इस महत्व को मानकर भारत के महामहिम सार्वभौम सम्राट विक्रमादित्य ने भी अपने संवत्सर का आरम्भ ( आज से प्रायः ढाई हजार वर्ष पहले) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही किया था। इसमें सन्देह नहीं है कि विश्व के यावन्मात्र संवत्सरों में शालिवाहन शक और विक्रम संवत्सर -ये दोनो सर्वोत्कृष्ट हैं।
परन्तु शक का विशेषकर गणित में प्रयोजन होता है और विक्रम-संवत् का इस देश में गणित,फलित, लोक-व्यवहार और धर्मानुष्ठानों के समय- ज्ञान आदि में अमिट रूप से उपयोग और आदर किया जाता है। ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का आरम्भ किया, उस समय इसको सर्वोत्तम तिथि सूचित किया था और वास्तव में यह सबसे उत्तम तिथि है भी। इसमें धार्मिक,सामाजिक, व्यावहारिक और राजनीतिक आदि अधिक महत्व के अनेक काम आरंभ किए जाते हैं। इसमें संवत्सर का पूजन, नवरात्र- घट -स्थापन, ध्वजारोपण, तैलाभ्यंग- स्नान, वर्षेशादि का फल पाठ, आदि लोकप्रसिद्ध और विश्वोपकारक काम होते हैं।
जो इस वर्ष शनिवार 6 अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है। संवत्सर उसे कहते हैं जिसमें मास आदि भलीभाँति निवास करते रहें। इसका दूसरा अर्थ है बारह महीने का काल विशेष। इस वर्ष के प्रारंभ में "परिधावी" नामक 2076वाँ संवत्सर रहेगा। 10 अप्रैल 2019 को 11/39 इष्ट पर "प्रमादी" संवत्सर का प्रवेश होगा परन्तु संकल्पादि में 'परिधावी' संवत्सर का ही वर्ष पर्यन्त प्रयोग होगा। इस वर्ष राजा शनि तथा मंत्री सूर्य होगा। सूर्य शनि में शत्रु भाव होने के कारण शासकों में मतभेद एवं विरोध की स्थिति रहेगी। वर्ष लग्न के अनुसार लग्न का स्वामी चन्द्रमा त्रिकोणस्थ होकर मित्रगृही होने के कारण आन्तरिक व्यवस्था एवं सीमा सुरक्षा में भारत की स्थिति सुदृढ़ होगी।
यातायात के क्षेत्र में भारत की सराहनीय प्रगति होगी। आयात-निर्यात में बढ़ोतरी के साथ-साथ भारत के पड़ोसी राष्ट्रों से तनावपूर्ण स्थिति बनती रहेगी। विकास एवं प्रशासनिक व्यवस्थाएँ उन्नत रहेंगी। विश्व बाजार में भारत का वर्चस्व बढ़ेगा तथा विश्व के अधिकतम राष्ट्र भारत से मैत्री के लिए उत्सुक रहेंगे। राष्ट्र की सैन्य शक्ति समृद्ध होगी। मेघेश शनि होने से इस वर्ष वृष्टि अच्छी होगी। पूर्वोत्तर राज्यों में वर्षा की अधिकता के कारण जन-धन की हानि होगी। सस्येश बुध होने से खरीफ के फसलों की अच्छी उपज होगी। इसका मूल्य नियन्त्रित रहेगा। रसेश बुध होने से फलों तथा दुग्ध पदार्थों का उत्पादन अच्छा होगा। प्राकृतिक घटनाओं में यत्र-तत्र उत्पादन में बाधा पहुँचेगी।
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र