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Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें गणपति की स्थापना, जानें- पूजा का शुभ मुहूर्त, ऐसे करें गणेश स्थापना
गणेश चतुर्थी पर इस बार कई शुभ संयोग बन रहे हैं। एक ओर जहां ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बनेगा, वहीं सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है। यानि सिंह राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र एक साथ विद्यमान रहेंगे।
दो सितंबर को ही मध्याह्न में चतुर्थी मिलने से इसी दिन वैनायकी वरद श्रीगणेश चतुर्थी का पर्व भी मनाया जाएगा। इसी दिन से पूरे देश में गणेशोत्सव शुरू हो जाएगा। चतुर्थी तिथि दो सितंबर को सुबह 9.02 बजे लग रही है जो तीन सितंबर को सुबह 6.50 बजे तक रहेगी।
गणपति की स्थापना गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न में की जाती है। मान्यता है कि गजानन का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। साथ ही इस दिन चंद्रमा देखना वर्जित है। आप चाहे तो बाजार से खरीदकर या अपने हाथ से बनी गणपति की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं स्थापना करने से पहले स्नान करने के बाद नए या साफ धुले हुए बिना कटे-फटे वस्त्र पहनने चाहिए।
अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ कर पूजा करें। आसन कटा-फटा नहीं होना चाहिए. साथ ही पत्थर के आसन का इस्तेमाल न करें। इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा को किसी लकड़ी के पटरे या गेहूं, मूंग, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक-एक सुपारी रखें।
चौघड़िया
अमृत चौघड़िया- प्रात: 6:10 बजे से 7:44 तक।
शुभ चौघड़िया- सुबह 9:18 से 10:53 तक।
लाभ चौघड़िया- दोपहर 3:35 से 5:09 तक।
अमृत चौघड़िया- शाम 5:09 से 6:53 तक।
देर रात मुहूर्त- रात्रि 11:01 से 12:27 तक।
लग्नानुसार गणेश स्थापना मुहूर्त
सह लग्न- प्रात: 5:03 से 07:12 तक।
कन्या लग्न- सुबह 7:12 से 9:16 तक।
धनु लग्न- दोपहर 1:47 से 3:53 तक।
कुंभ लग्न- शाम 5:40 से 7:09 तक।
मेष लग्न- रात्रि 8:43 से 10:24 तक।
विशेष- अभिजीत योग दोपहर 12:01 से 12:55 तक।
गणेश प्रतिमाओं की स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा। पंचांग के अनुसार अभिजित मुहूर्त सुबह लगभग 11.55 से दोपहर 12.40 तक रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत काल में युधिष्ठिर को विघ्नहर्ता की पूजा का महत्व बताया था। इसके प्रभाव से पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की। इस दिन से सात, नौ या दस दिनी जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसकी खूब धूम होती है। काशी में भी इसका रंग साल-दर-साल निखरता जा रहा है।