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Ganesh Chaturthi : गणेश जी महाराज और उनके परिवार के बारे जानें ये रोचक बातें
Ganesh Chaturthi : भगवान गणेशजी की कथा अनंत है। चारों युगों में उनका वर्णन मिलता है। उन्हें भी हनुमानजी जैसी वरदानी शक्तियां प्राप्त हैं। पुराणों में उनके 64 अवतारों का वर्णन मिलता है। भगवान गणेशजी के जीवन से यूं तो कई प्रसंग जुड़े हैं लेकिन हम आपको बता रहे हैं गणेश जी महाराज और उनके परिवार के बारे में कुछ रोचक बातें -
1. भगवान गणेश ने कुल 64 अवतार हैं. सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन इनमें प्रमुख हैं.
2. शुभ लाभ भगवान गणेश की दो संतानें हैं. रिद्धि से शुभ और सिद्धि से लाभ का जन्म हुआ है.
3. भगवान गणेश का प्रथम नाम विनायक है.
4. केतु के प्रभाव को कम करने के लिए गणेश पूजा करनी चाहिए.
5. तुष्टि और पुष्टि शुभ-लाभ की पत्नियां है. आमोद-प्रमोद इनकी संतानें हैं.
भगवान श्रीगणेश से जुड़ी रोचक बातें
क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं. उनकी पहली पत्नी का नाम रिद्धि और दूसरी पत्नी का नाम सिद्धि है. इसलिए उन्हें रिद्धि-सिद्धि के दाता भी कहा जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार गणेश जी की पत्नियां भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश ने कुल 64 अवतार धारण किए हैं. इनमें 12 अवतार प्रमुख माने जाते हैं. इन 12 अवतारों के नाम है सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन.
शुभ और लाभ के चिह्न को हिंदू धर्म में खास माना जाता है. लोग घर के मुख्य द्वार पर भी शुभता के लिए शुभ-लाभ लिखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुभ लाभ भगवान गणेश के दो संतानें हैं. पहली पत्नी रिद्धि से शुभ और दूसरी पत्नी सिद्धि से लाभ का जन्म हुआ है.
सभी देवी-देवताओं में भगवान श्रीगणेश एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा में दुर्वा चढ़ाया जाता है. दुर्वा भगवान को अतिप्रिय है.
भगवान गणेश के कई नाम हैं उन्हें लंबोदर, गजानन और बप्पा जैसे कई नामों से जाना जाता है. लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश का प्रथम नाम विनायक है.
भगवान गणेश की आराधना करने से केतु ग्रह के प्रभाव से मुक्ति मिलती है. ज्योतिष के अनुसार केतु के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए.
आमोद-प्रमोद भगवान गणेश के दो पोते हैं. तुष्टि और पुष्टि शुभ-लाभ की पत्नियां है. आमोद प्रमोद इनकी संताने हैं.
लेखन में गणेशजी को दक्षता प्राप्त है. कहा जाता है कि जब महर्षि वेदव्यास जी महाभारत लिख रहे थे तब उन्हें किसी ऐसे की तलाश थी जो बिना रुके महाभारत की कथा लिख सके.ऐसे में गणेशजी ने यह कार्यभार संभाला.