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शादी के बाद भी क्यों कहा जाता है हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी ? जानिए इसका रहस्य

शादी के बाद भी क्यों कहा जाता है हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी ? जानिए इसका रहस्य
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पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी ने सूर्य देवता को अपना गुरु बनाया था और उन्होंने सूर्य देव से 9 विद्याएं प्राप्त करने का निश्चय किया था.

मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. श्रद्धालु इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ बजरंगबली की पूजा करते हैं. जी कलयुग के देवता है. इसलिए सबसे ज्यादा भक्त उनके ही हैं. संकट मोचन हनुमान अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं. और उन्हें बल, बुद्धि, यश का वरदान देते हैं. हम सभी जानते हैं कि हनुमान जी को बालब्रह्मचारी कहा जाता है. लेकिन हनुमान जी की शादी हुई थी. उसके बाद भी उन्हें ब्रह्मचारी कहा जाता है. ऐसा क्यों ? चालिए जानते हैं इसका रहस्य...

पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी ने सूर्य देवता को अपना गुरु बनाया था और उन्होंने सूर्य देव से 9 विद्याएं प्राप्त करने का निश्चय किया था. सूर्य देवता ने 9 प्रमुख विद्याओं में से हनुमान जी को 5 विद्याएं सिखा दीं लेकिन बाकी 4 विद्याओं को सिखाने के समय एक बाधा उत्पन्न हो गई. हनुमान जी ने विवाह नहीं किया था और उन विद्याओं को सीखने के लिए विवाहित होना जरूरी था. तब हनुमानजी जी के गुरु सूर्य देव ने उनसे विवाह करने को कहा. अपने गुरु की आज्ञा से हनुमान जी ने विवाह करने का निश्चय किया. हनुमान जी से किस कन्या का विवाह किया जाए, अब ये समस्या सामने आई. तब सूर्य देव ने अपनी ही परम तेजस्वी पुत्री सुवर्चला से हनुमान को शादी करने का प्रस्ताव दिया।

इसके बाद हनुमान जी और सुवर्चला का विवाह संपन्न हुआ. सुवर्चला परम तपस्वी थी. विवाह के बाद सुवर्चला सदा के लिए तपस्या में लीन हो गई तो वहीं हनुमान जी भी अपनी बाकी चार विद्याओं के ज्ञान को प्राप्त करने में लग गए. इस प्रकार विवाहित होने के बाद भी हनुमान जी का ब्रह्मचर्य व्रत नहीं टूटा. आज भी तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है जहां हनुमान जी गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है. यहां दर्शन करने से शादीशुदा जिंदगी की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।


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