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सुख व ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी से जुड़ी शास्त्रों में लिखी बातों का एक संकेत यह भी है कि माता लक्ष्मी कर्म और कर्तव्य से जुड़े इंसान पर हमेशा मेहरबान रहती है। माता लक्ष्मी के भगवान विष्णु का संग चुनने के पीछे भी यही बात साफ होती है क्योंकि श्री हरि विष्णु जगत पालक माने गए हैं। पालन के पीछे भी निरंतर कर्म, पुरुषार्थ और कर्तव्य का ही मूल भाव है।
शुक्रवार के दिन माता दुर्गा की तीन शक्तियों में एक महालक्ष्मी की साधना तमाम वैभव और यश देने वाली मानी गई है। जानिए, देवी लक्ष्मी स्मरण के लिए दो मंत्र और पूजा की आसान विधि -
- शुक्रवार के दिन शाम को देवी लक्ष्मी की उपासना के पहले स्नान कर यथासंभव लाल वस्त्र पहन कर लक्ष्मी मंदिर या घर में लाल आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी का ध्यान अक्षत और लाल फूल हाथ में लेकर नीचे लिखे मंत्र से करें -
महालक्ष्मी च विद्महे,
विष्णुपत्नी च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्।
- माता के चरणों में फूल-अक्षत करने के साथ लाल चंदन, अक्षत, लाल वस्त्र, गुलाव के फूलों की माला चढ़ाकर कमलगट्टे की माला या तुलसी की माला से नीचे लिखे विशेष लक्ष्मी मंत्र का जप करें -
ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं ॐ नम:।
- पूजा व मंत्र जप के बाद माता को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
- घी के पांच बत्तियों वाले दीप से आरती कर देवी से सुख-वैभव की कामना करें।