धर्म-कर्म

सावन में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का महत्व है खास

सावन में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का महत्व है खास
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सावन में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का खास महत्व है ---एक तो बेलपत्र चढ़ाने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मन्नत पूरी करते हैं। इसलिए उनकी पूजा में बेलपत्र शामिल करना अनिवार्य है। दूसरी एक मान्यता के अनुसार बेल की तीन पत्तियां,शिवजी की तीन आंख का प्रतीक हैं। इसकी तुलना भगवान शिव के त्रिनेत्र ,त्रिशूल से की जाती हैं साथ ही साथ इसे त्रिदेव --ब्रह्मा विष्णु ,महेश भी माना गया हैं। बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी का मस्तक भी शीतल रहता है।एक बेलपत्र को कई बार धोकर चढ़ाया जा सकता है।

शिवजी को बेलपत्र इसलिए भी प्रिय हैंक्योंकि -स्कंदपुराण के अनुसार मंदार पर्वत पर माता पार्वती की पसीने की बूंदें गिरने से बेल के पेड़ की उत्पत्ति हुई थी,वैसे यह पेड़ स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही अहम हैं और सकरात्मक ऊर्जा का परिचायक है।इसलिए यह स्वास्थ्य के देवता शिव की बेल पसंदीदा जड़ीबूटी है। कहते है जिस घर में बेल का पेड़ लगा होता हैं वहां पर शिवकृपा बरसती हैं। सावन का महीना शिवजी की पूजा के लिए सर्वोत्तम हैं।

वैसे भी शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु जी देवशयनी एकादशी से 4 महीने के लिए क्षीरसागर में विश्राम करने के लिए चले गए हैं तो उनकी अनुपस्थिति में चातुर्मास में भगवान शिव ही सृष्टि की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले रखे हैं। सच्ची श्रद्धा और मन से अभिषेक करते हुए केवल एक लोटा जल और एक बिल्वपत्र भी अवढरधानी बाबा भोलेभंडारी को चढ़ा दें तो प्रसन्न होकर सभी प्रकार के कष्ट दूर करके उनकी मनचाही मुराद पूरी कर देते हैं।

सावन का दूसरा नाम हरियाली है---सावन आने पर चारों ओर हरियाली छा जाती है अर्थात इस महीने में हर तरफ हरियाली ही हरियाली दिखती है.यहां तक सुहागिनों में भी उत्साह देखते ही बनता हैं वे हरे रंग के कपड़े पहनती ,हाथों में भर-भरके हरी चूड़ियां पहनती हैं। झूले लगाती हैं और अपनी सखी-सहेलियों के साथ खूब हसीं -ठिठौली और मस्ती करती हैं। इस पूरे महीने लोग अपने आस-पास हरा रंग देखना चाहते हैं जो पवित्रता ,खुशहाली और समृद्धि का परिचायक है।

वैसे भी सावन का दूसरा नाम ही हरियाली है.--'एक कहावत भी है कि ---' सावन के अंधे को हर जगह हरियाली नजर आती है। 'हरियाली ना सिर्फ आंखों को सकून पहुंचाती है बल्कि ये हमारे मन और आत्मा को भी शांति और स्फूर्ति प्रदान करती है तभी तो स्वयं को प्रकृति से जुड़े रहने के लिए महिलाएं हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनती हैं.।हर तरफ केशरिया रंग की धूम मची हुई हैं।

शास्त्रों में भी लिखा हुआ हैं कि--'प्रकृति ईश्वर का ही रूप होती है जो भी प्रकृति की पूजा करता हैं। उस पर देवता की खास नजर होती हैं। इस पूरे महीने हरे रंग के उपयोग से भाग्य भी अच्छा रहता हैं।'इसलिए शिव भक्त चाहे स्त्री हो या पुरुष -हरे रंग के वस्त्रों और वस्तुओं को विशेष महत्व देते हैं। इसलिए भर सावन में शिवलिंग पर सिर्फ हरी वस्तुएं --भांग ,धतूरा ,बेलपत्र ,आकडे की माला ,फूल चढ़ाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं क्योंकि शिवजी को भी हरा रंग अति प्रिय हैं।

ऐसी मान्यता है कि शिव सावन के महीने में धरती पर भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं ,और जो हरे रंग के वस्त्र या वस्तुओं का उपयोग करता हैं उसपर विशेष कृपा करते हैं इसलिए यूपी ,बिहार की महिलाएं पूरे महीने हरी चूड़ियां पहन-पहनकर भोलेनाथ को प्रसन्न करती हैं और अपने सुहाग और परिवार के लिए सुख-समृद्धि मांगती हैं।और शास्त्रानुसार ऐसा करने पर शिवजी सुहागिन रहने का आशीर्वाद देते हैं।


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