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मज़ाक उड़ाने के बजाय धार्मिक त्योहारों का असली मक़सद समझे हिंदू
प्रतीक श्रीवास्तव
करवा चौथ आने वाली हैं. आजकल एक बड़ा खतरनाक प्रचलन चला है हिन्दुओं में, वह यह कि जैसे ही कोई त्यौहार आने वाला होता है, खुद हिन्दू ही उस त्यौहार को ऐसे पेश करते हैं जैसे वो उनके ऊपर बोझ है उनका भद्दा मजाक बनाते हैं उनकी पवित्रता गम्भीरता खत्म करते हैं आने वाली नस्ल को गलत संस्कार देते हैं.
देखिए क्या लिखा है,,
आदरणीय पति देव साहब,
आपको सूचित किया जाता है कि आपके लम्बी आयु की वैलिडिटी खत्म होने वाली है और रिचार्ज की तिथि आ गयी है.
27 October 2018 को स्पेशल करवाचौथ रिचार्ज करवा कर लंबी उम्र पाएं।
प्लान्स इस प्रकार हैं:-
-मेगा प्लान =प्लेटिनम का सेट दीजिए और पाइए 100 साल की उम्र। इत्यादि,,
-सभी प्लान्स की वैधता केवल एक साल के लिए यानि अगले करवाचौथ तक ही होगी।
मौके का भरपूर फायदा उठाएं...।
1) रक्षाबंधन पर मूर्खता :
कुछ हिन्दू ऐसे मैसेज भेजते हैं कि ||कोई भी अनजान चीज को हाथ नहीं लगाये, उसमें राखी हो सकती है !! ||
अरे कूल dude !! तुम्हारे लिए अपनी बहन बोझ बन रही है?? तुम तो राखी का मज़ाक़ बना बैठे हो, तुम क्या अपनी माँ बहन की रक्षा करोगे? राखी एक रक्षा सूत्र है, अगर तुम भूल रहे हो तो याद दिलाऊँ राजस्थान में औरतें अपनी रक्षा के लिए जोहर कर आग में कूद जाती थी।
रानी पद्मिनी के साथ 36000 औरतें जोहर हो गयी थीं। एक महिला की रक्षा मज़ाक लगती है???
2) दशहरा पर मूर्खता :
यह मैसेज आजकल खूब प्रचलन में है कि || रावण सीता जी को उठा ले गया है और राम जी लंका पर चढ़ाई करने जा रहे हैं, उसके लिये बंदरो की आवश्यकता है, जो भी मैसेज पढ़े तुरंत निकल जाये ||
वाह!!! आज सीता अपहरण हिन्दुओं के लिए मज़ाक़ का विषय हो गया है। जोरू का गुलाम बनना गर्व का विषय और राम का सैनिक बनना मज़ाक़ हो रहा है!!!
दूसरा जोक || रावण को कोर्ट ले जाया गया व कहा गया कि गीता पर हाथ रख कसम खाओ तब रावण कहता है सीता पर हाथ रखा उसमें इतना बवाल हो गया, गीता पर रखा तो......||
यह बड़े शर्म की बात है कि अग्नि परीक्षा देने के बाद भी आज हिन्दू सीता माता के चरित्र पर सवाल उठाने को मज़ाक़ समझते हैं। कभी अपनी माता के बारें में ऐसे मज़ाक़ उड़ाया? अगर नहीं तो तुम्हें किसने हक दिया समस्त हिंदुत्व की माता पर हाथ रखने को मज़ाक़ बनाने का ????
एक हमारा मीडिया पहले ही हिन्दू त्यौहारों के पीछे पड़ा है-
होली पर पानी बर्बाद होता है लेकिन ईद पर जानवरों की क़ुरबानी धर्म है!
दिवाली पर पटाके छोड़ना प्रदूषण है पर ईसाई नव वर्ष पर आतिशबाजी जश्न है!
नवरात्री पर 10 बजे के बाद गरबा ध्वनि प्रदूषण हो जाती है, वहीं मोहरम की रात ढोल ताशे कूटना और नववर्ष की रात जानवरों की तरह 12 बजे तक बाजे बजाना धर्म है!!!
करवा चौथ और नाग पंचमी पाखंड है वहीं ईसा का मरकर पुनः लौटना गुड फ्राइडे वैज्ञानिक है!!
हिन्दुओं को यह लगता है कि अपने पर्व का मज़ाक़ बनाना सही है तो इससे बड़ी लानत क्या होगी??
हम राखी और सीता अपहरण पर मज़ाक़ करते हैं, इसके पीछे समाज की मानसिकता बनती है। लोग लड़की की रक्षा से कतराते हैं , क्योंकि राखी को हमने मज़ाक़ बना दिया है, हमने सीता माता जैसी पवित्र माँ का मज़ाक़ बना दिया है। इससे पता चलता है हम कितने धार्मिक हैं!
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हिन्दू धर्म की विडंबना देखिए :-
जन्माष्टमी आयी तो श्री कृष्ण को टपोरी तडीपार और ना जाने क्या-क्या कहा!
गणेश जी आये तो उनका भी मज़ाक़ बनाया!
नवरात्रि आयी तो ये चुटकुला आया "नौ दिन दुर्गा-दुर्गा फिर मुर्गा-मुर्गा..."
विजयादशमी पर श्री राम-माता सीता और रावण पर चुटकुले चले!
अब दिवाली पर भी कुछ आ जायेगा!
कभी सोचा है ओरिजनली कौन ये सब पोस्ट कर रहा है??? ये कभी किसी ने भी जानने की कोशिश नहीं की.. बस अपने मोबाइल पर आया तो बिना सोचे समझे फॉरवर्ड करने की वही भेड़ चाल चालू..!!
इस तरह के मैसेज बनाने वाले जानते हैं कि हम हिन्दू अपने धर्म को लेके सजग नहीं हैं और एडवांस्ड दिखने के चक्कर में कुछ भी फॉरवर्ड कर देंगे. तभी ये ऐसे मैसेज बनाकर सर्कुलेट करते हैं!!
किसी और धर्म के लोगों को उनके धर्म के जोक्स पढ़ते या फॉरवर्ड करते देखा है?? उनको तो छोड़ो, आप भी उनके धर्म के जोक्स फॉरवर्ड करने से पहले 10 बार सोचते हो कि किसको भेजूँ-किसको नहीं?? तो हिन्दू धर्म का मज़ाक़ उड़ाते शर्म नहीं आती..??
मेरा करबद्ध निवेदन है कि अपने हाथों से अपने धर्म का अपमान ना करें..
कृपया ईस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें एवं अपने सभी मित्रो को अपने ही धर्म का मज़ाक ना उडाने की सलाह दें ||
प्रभु श्री कृष्ण नें कहा था "आप धर्म की रक्षा करोगे तो धर्म भी आपकी रक्षा करेगा ||
क्या नंगे बदन "गरबा" करने से होगी मां दुर्गा प्रसन्न ।
देश में गरबे के नाम पर अश्लीलता, नग्नता, फूहड़ता और लव जेहाद चरम पर है।
मां दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्रि ब्रह्मचर्य साधने और चित्त शुद्धि के लिए होता है लेकिन युवाओं ने भोग, विलास का पर्व बना दिया।
धार्मिक और सामाजिक संगठनों को आगे आकर गरवे के लिए कुछ गाइडलाईन तैयार की जाए या फिर पूरे देश में गरबे पर रोक लगाई जाए। गरबे के नाम पर संस्कृति से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं।