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Kaal Sarp Dosh: जैसा कि सभी को पता है कि सावन मास आने वाला है और सावन मास में भोलेनाथ की उपासना करने से सभी नाग किन्नर प्रसन्न होते हैं. ऐसे में लोग नागराज को भी प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं जब बाबा प्रसन्न होते हैं तो ना नाग देवता का कोप सताता है और ना ही किसी कुंडली दोष की चिंता सताती है. ऐसे में कालसर्प योग अगर आपकी कुंडली में है तो आपको चिंता की कोई जरूरत नहीं है. सावन के महीने में आपको बस एक छोटा सा उपाय करना है जिसके बाद आपकी कुंडली से यह दोष हमेशा के लिए दूर भाग जाएगा-
Kaal Sarp Dosh Removed Completely: कुंडली में कालसर्प योग का होना बेहद चिंतनीय विषय है किंतु इसे लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है. ईश्वर कहते हैं यदि किसी भी प्रकार का कष्ट है तो वह पूर्व जन्मों की वजह से ही होता है.इसके साथ ही यह भी सच है कि ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान ना हो किसी भी व्यक्ति की कुंडली में अगर कालसर्प योग होता है तो इसका मतलब है कि सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ गए हैं. ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में सभी देवी देवता पृथ्वी पर आते हैं और घूमते हैं. ऐसे में भोलेनाथ भी पृथ्वी पर आते हैं और सब के बारे में जानते हैं. लोगों का कहना है कि अगर भगवान जी पर एक लोटा जल भी चढ़ा दिया जाए तो भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं. 4 जुलाई 2023 से सावन का महीना शुरू हो रहा है और इस बार अधिक मास होने के कारण सावन में 2 महीने होंगे. कहते हैं को प्रसन्न करने का इस बार काफी अच्छा समय है कुंडली में जब भी नाग देवता की नाराजगी हो तो शिवजी की उपासना करना जरूर चाहिए.
सावन महीने में भोलेनाथ की पूजा करने से नागराज प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं.जब बाबा प्रसन्न होते हैं तो नाग देवता हो या कोई अन्य ग्रह कभी भी हमें सता नहीं सकता है। कालसर्प योग के निवारण के लिए सावन का महीना सबसे उपयुक्त महीना है। इस माह में अगर आप महामृत्युंजय या ओम नमः शिवाय का जाप करते हैं तो निश्चित ही आपकी कुंडली से कालसर्प योग दूर हो जाता है।
पूरे सावन भर भोलेनाथ का अभिषेक करने से भी वह प्रसन्न होते हैं. महामृत्युंजय मंत्र का 1 लाख 32 हजार बार रुद्राक्ष की माला से जाप करना चाहिए. दुर्गा सप्तशती का नित्य पाठ करने से भी शिव शंकर प्रसन्न होते हैं. शिवलिंग पर दूध, गंगाजल व शहद मिलाकर अभिषेक करने के बाद बिल्व पत्र चढ़ाने से भी काल सर्प योग शांत होता है.