धर्म-कर्म

जानें- कैसे हुआ भगवान विष्णु का जन्म, गुरुवार को इस विधि से करें उनकी पूजा

Arun Mishra
23 Sep 2021 2:42 AM GMT
जानें- कैसे हुआ भगवान विष्णु का जन्म, गुरुवार को इस विधि से करें उनकी पूजा
x
भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है.

हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है. कहते हैं सच्चे मन से उनकी पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु जरूर पूरी करते हैं. हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार गुरुवार को भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है. भगवान विष्णु जगत के पालनहार कहलाते हैं. मान्यता है कि गुरुवार के दिन अगर भक्त विष्णु जी की विधिवत पूजा करते हैं और गुरुवार के उपायों को आजमाते हैं तो उनके जीवन में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं रहती है. आइए जानते हैं कैसे हुई भगवान विष्णु की उत्पत्ति और कैसे करें उनकी पूजा.

विष्णु जी की पूजा विधि

सबसे पहले गुरुवार के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें. उसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहनें.

किसी चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें.

विष्णु जी को पीली चीजें अत्याधिक प्रिय हैं इसलिए भगवान विष्णु को पीले फूल और पीले फल का भोग लगाकर भगवान विष्णु जी को धूप व दीप दिखाएं. विष्णु जी की आरती जरूर करें.

गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्त्व है इसलिए इस दिन केले के वृक्ष की पूजा अवश्य करें.

विष्णु जी की उत्पत्ति

पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने ही विष्णु जी को उत्पन्न किया. एक बार शिव जी ने पार्वती से कहा कि एक ऐसा पुरुष होना चाहिए जो सृष्टि का पालन कर सके. शक्ति के प्रताप से विष्णु जी का आर्विभाव हुआ. वह अद्वितीय थे. कमल जैसे नयन, चतुर्भुजी और कौस्तुकमणि से सुशोभित. सर्वत्र व्यापक होने के कारण उनका नाम विष्णु पड़ा. कथा के अनुसार भगवान शंकर ने कहा कि लोगों को सुख देने के लिए ही मैंने तुमको उत्पन्न किया है. कार्य साधना के लिए तुम तप करो.

विष्णु जी ने तप किया लेकिन शंकर जी के दर्शन नहीं हुए. फिर तप किया, कुछ समय बाद उनके शरीर से तमाम जल धाराएं निकलने लगीं. हर तरफ पानी-पानी हो गया. तभी उनका एक नाम नारायण पड़ा. उन्हीं से सब तत्वों की उत्पत्ति हुई. कथानुसार, सबसे पहले प्रकृति की उत्पत्ति हुई. फिर तीन गुण आए-सत, रज और तम. उसके बाद शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध की उत्पत्ति हुई. फिर पंचभूत की उत्पत्ति हुई.

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

Next Story