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राधा और क्रष्ण का विवाह कैसे हुआ जानिए धार्मिक पुराणो के अनुसार

Desk Editor
16 Sep 2022 8:40 AM GMT
राधा और क्रष्ण का विवाह कैसे हुआ जानिए धार्मिक पुराणो के अनुसार
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भगवान कृष्ण और राधा रानी का संग शायद सबसे चर्चित प्रेम कहानी है. लेकिन जब कृष्ण मथुरा चले गए तब राधा का क्या हुआ? क्या राधा का विवाह हुआ? राधा और कृष्ण ने विवाह क्यों नहीं किया? हिंदू धर्मग्रंथों में राधा के विवाह से जुड़े कुछ किस्से मिलते हैं. लेकिन इन किस्सों के बीच विरोधाभाष है. राधा और कृष्ण के विवाह का पहला किस्सा कुछ ग्रंथों में दर्ज किस्से के मुताबिक राधा और कृष्ण का विवाह तभी हो गया था, जब वह दोनों बच्चे थे.

वृंदावन में दोनों बरगद के एक पवित्र पेड़ के नीचे साथ-साथ खेलते थे. कृष्ण बांसुरी बजाते थे. राधा उनके प्रेम में मगन नृत्य करती थीं. एक दिन राधा और कृष्ण ने अपनी शक्ति के बल पर खुद को वयस्क में तब्दील कर लिया. उस बरगद के पेड़ के नीचे दोनों ने विवाह रचाया. विवाह में पुजारी बने ब्रह्मा. किस्सा यहां तक प्रचलित है कि राधा की साड़ी से कृष्ण की धोती बांधकर ब्रह्मा जी ने गठबंधन की रस्म पूरी की. दूसरा किस्सा-नपुंसक गोप से हुआ था राधा का विवाह एक दूसरी किंवदंती के मुताबिक राधा का विवाह एक गोप से हुआ. नाम था अभिमन्यु. उनका प्रचलित नाम अयान था

. कृष्ण की मां यशोदा के अयान रिश्ते में चचेरे भाई थे. गोकुल के करीब ही जरात नाम का उनका गांव था. अयान की मां का नाम जटीला, बहन का नाम कुटीला और पिता का नाम गोला था. अयान काली के महाभक्त और ग्वाले थे. संसारिक बातों से उनका कोई लेना देना नहीं था. किस्से के मुताबिक राधा का विवाह अयान से यशोदा और नंदबाबा ने ही करवाया था. अयान नपुंसक थे. राधा ने घर की जिम्मेदारी अच्छी तरह निभाई. लेकिन प्रेम कृष्ण से ही किया. अयान की मां और बहन कृष्ण के साथ उनके प्रेम को लेकर खूब ताने मारतीं थीं. अयान के भी कान उन्होंने भरे. मां और बहन को मालूम था कि कृष्ण और राधा का बचपन में गहरा नाता था.

अयान से विवाह के पीछे की कहानी किंवदंती के मुताबिक अयान ने लक्ष्मी को पाने के लिए घोर तप किया. वह लक्ष्मी को अपनी पत्नी के रूप में पाना चाहते थे. लेकिन विष्णु इसके लिए तैयार नहीं थे. लेकिन उनकी तपस्या का फल तो उन्हें देना ही था. विष्णु ने अयान को वरदान दिया कि लक्ष्मी राधार के रूप में तुम्हारी पत्नी बनेंगी. लेकिन तुम नापुंसक होगे. मैं कृष्ण के रूप में अवतार लूंगा. हालांकि दूसरा किस्सा बहुत कम जगहों पर ही मिलता. ग्रंथों में यह कहीं दर्ज नहीं है. यह केवल किंवदंती के रूप में ही प्रचलित है.

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