धर्म-कर्म

जानिए- कैसे हुआ त्रेतायुग में हनुमान जी का जन्म

Arun Mishra
19 Jan 2021 9:43 AM IST
जानिए- कैसे हुआ त्रेतायुग में हनुमान जी का जन्म
x
हनुमान जी त्रेतायुग में अन्जना और केशरी के यहाँ पुत्र रूप में अवतरित हुए।

श्री व्यास जी ने राजा परीक्षित से कहा "परीक्षित होनी तो होके रहती है, इसे कोई बदल नही सकता। आज मैं तुम्हे उस रहस्य को बताता हूँ, जो दुर्लभ है।"

एक समय सृष्टि से जल तत्व अदृश्य हो गया। सृष्टि में त्राहि-त्राहि मच गयी और जीवन का अंत होने लगा तब ब्रम्हा, जी विष्णु जी, ऋषि गण तथा देवता मिलकर श्री शिव जी के शरण में गए और शिव जी से प्रार्थना की और बोले नाथों के नाथ आदिनाथ अब इस समस्या से आप ही निपटें। श्रृष्टि में पुन: जल तत्व कैसे आयेगा।

देवों की विनती सुन कर भोलेनाथ ने ग्यारहों रुद्रों को बुलाकर पूछा "आप में से कोई ऐसा है जो सृष्टि को पुनः जल तत्व प्रदान कर सके।" दस रूदों ने इनकार कर दिया। ग्यारहवाँ रुद्र जिसका नाम हर था उसने कहा "मेरे करतल में जल तत्व का पूर्ण निवास है। मैं श्रृष्टि को पुन: जल तत्व प्रदान करूंगा लेकिन इसके लिए मूझे अपना शरीर गलाना पड़ेगा और शरीर गलने के बाद इस श्रृष्टि से मेरा नामो निशान मिट जायेगा।"

तब भगवान शिव ने हर रूपी रूद्र को वरदान देते हुए कहां "इस रूद्र रूपी शरीर के गलने के बाद तुम्हे नया शरीर और नया नाम प्राप्त होगा और मैं सम्पूर्ण रूप से तुम्हारे उस नये तन में निवास करूंगा जो श्रृष्टि के कल्याण हेतू होगा।" हर नामक रूद्र ने अपने शरीर को गलाकर श्रृष्टि को जल तत्व प्रदान किया और उसी जल से एक महाबली वानर की उत्पत्ति हुई।

जिसे हम हनुमान जी के नाम से जानते हैं। यह घटना सतयुग के चौथे चरण में घटी। शिवजी ने हनुमान जी को राम नाम का रसायन प्रदान किया। हनुमान जी ने राम नाम का जप प्रारम्भ किया। हनुमान जी त्रेतायुग में अन्जना और केशरी के यहाँ पुत्र रूप में अवतरित हुए।

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

Next Story