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करवाचौथ पर क्या करें क्या न करें सुहागिन महिलायें जानें इस रिपोर्ट में...
करवा चौथ उत्तर भारतीय स्त्रियों के लिए एक बेहद ही खास त्योहार है। भारत में इस व्रत को खासकर पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सबसे ज्यादा मनाया है। ये व्रत सिर्फ धार्मिक कारणों और मान्यताओं के लिए ही नहीं बल्कि पति-पत्नी के आपसी प्रेम और समर्पण का भी त्योहार है। करवा चौथ पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत है।
लेकिन कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें किसी भी सुहागन महिला को बिल्कुल भी नहीं करने चाहिए। क्योंकि इन कामों को करने से न केवल पति की उम्र कम होती है बल्कि आपके वैवाहिक जीवन पर भी इसका असर पड़ता है तो चलिए जानते हैं कौन से हैं वो काम जो सुहागन महिलाओं को करवा चौथ के दिन नहीं करने चाहिए।
करवा चौथ पर क्या न करें ये काम (Karwa Chauth Per Kya Na Kare Ye Kaam)
करवा चौथ का व्रत करने वाली किसी भी महिला को सफेद या काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। क्योंकि सफेद और काले रंग को करवा चौथ के दिन धारण करना शुभ नहीं माना जाता।
करवा चौथ के दिन अगर कोई घर का कोई सदस्य सो रहा है तो उसे बिल्कुल भी उठाए। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के दिन किसी को सोते से उठाना अशुभ माना गया है।
करवा चौथ की कथा सुनने के बाद कीर्तन अवश्य करें। इस दिन किसी की चुगली, निदां या किसी को अपशब्द न कहें।
करवा चौथ के दिन कैंची का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। क्योंकि इस दिन कैंची चलाना अशुभ माना जाता है।
करवा चौथ के दिन मां, सास, किसी बड़े बुजुर्ग का अपमान बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि
व्रत के दिन ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता और न हीं बड़ो का आर्शीवाद भी प्राप्त नहीं होता।
करवा चौथ के दिन सुहाग के समान को घर से बाहर न फेंके क्योंकि करवा चौथ के दिन इन सभी चीजों का अत्याधिक महत्व होता है।
करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली महिला को सोना नहीं चाहिए। क्योंकि व्रत में सोने को अशुभ माना जाता है।
करवा चौथ के दिन पति से न झगड़े अगर आप ऐसा करती हैं तो आपको करवा चौथ के व्रत फल नहीं मिलेगा और आप पाप की भागीदार बनेंगी।
करवा चौथ के दिन अपने पति की सभी आज्ञा का पालन करें। क्योंकि इस दिन पति की आज्ञा को मानना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है।
करवा चौथ के दिन श्रृंगार का समान किसी को भी न तो दान में दे और न ही किसी से दान में लें।
करवा चौथ व्रत का महत्त्व (Importance of Karva Chauth Fast)
सभी लोग ये तो जानते हैं कि इस व्रत को पत्नियां अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं, लेकिन क्या आप इसके महत्त्व के बारे में जानते हैं। मान्यताओं के मुताबिक और छांदोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन के सभी तरह के कष्टों का निवारण तो होता ही है साथ ही लंबी उम्र भी प्राप्त होती है।
करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
करवा चौथ कथा (Karva Chauth Katah)
व्रत के बारे में महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। अर्जुन की पत्नी द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। तभी उनके सखा श्रीकृष्ण उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करने के बारे में बताते हैं, जिससे अर्जुन के सभी कष्ट दूर होगें।
श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी करवाचौथ का व्रत रखती हैं जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है। यह व्रत यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।