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देवों के देव महादेव आदिदेव हैं. सभी देवताओं सर्वोच्च भगवान शिव बहुत साधरण हैं. भोलेनाथ अपने भक्तों की एक पुकार सुनकर उनके दुख दूर कर देते हैं, लेकिन बस उन्हें सच्चें मन और विश्वास के साथ याद करना चाहिए. भगवान शिव की पूजा – अर्चना और देवी-देवताओं से बिल्कुस भिन्न होती है. शिव को दूध, बेल पत्र, भांग और धतूरा बहुत पसंद है. और उनके भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उन्हें ये सब चढ़ाते हैं. हम सभी के मन एक सवाल हमेशा होता है कि भगवान होकर शिव जी नशा क्यों करते हैं. पौराणिक कथाओं में भी इस बात को कहा गया है कि भगवान शिव भांग का सेवन किया करते थे. लेकिन शिव भांग क्यों पीते थे? इसके पीछे कई कथाएं और मान्यताएं हैं. आप भी जानिए इन्हें...
- ऐसा कहा जाता है कि भवगान शिव हमेशा ध्यान में रहते हैं. जानकार कहते हैं कि चूंकि भांग ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है, इसलिए वो परमानंद में रहते थे और कभी भी ध्यान लगा सकते थे.
- वेदों की मानें तो समुद्र मंथन से एक बूंद निकलकर मद्र पर्वत पर गिरी, जिससे एक पौधा उगा. इस पौधे का रस देवताओं को खूब पसंद आया. बाद में भगवान शिव इसे हिमालय ले आये ताकि हर कोई इसका सेवन करे.
- पुराणों में कहा गया है कि समुद्र मंथन के समय जो विष निकला था, उसे भगवान शिव ने निगला नहीं बल्कि कंठ में रख दिया था. ये विष इतना गर्म था कि इससे शिव को गर्मी लगने लगी और वे कैलाश पर्वत चले गए. विष की गर्मी को कम करने के लिए भगवान शिव ने भांग का सेवन किया था.चूंकि भांग को ठंडा माना जाता है इसलिए उन्हें इससे आराम मिला था.