धर्म-कर्म

कृष्ण जी की गोवर्धन लीला, शक्तिशाली माफिया के विरुद्ध पहला विद्रोह था

सुजीत गुप्ता
5 Nov 2021 3:04 PM IST
कृष्ण जी की गोवर्धन लीला, शक्तिशाली  माफिया के विरुद्ध पहला विद्रोह था
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कृष्ण जी की गोवर्धन लीला बीत चुके तीनों युगों में तब तक की सामान्यजन द्वारा शक्तिशाली माफिया के विरुद्ध पहला विद्रोह था इसको भक्त लोग दैवीय रूप से देखें या दूसरे लोग तर्क की कसौटी पर कसें , दौनों ही स्तरों पर इसके साक्ष्य आज भी उपलब्ध हैं।

चूंकि कृष्णजी पूतना शकटासुर तृणावर्त जैसे राक्षसों को मार चुके थे अतः गोवर्धन लीला में इंद्रदेव का मानमर्दन जैसा चमत्कार भक्तों के लिए कोई अविश्वस्यनीय लीला नहीं है, लेकिन व्यवहारिक तर्क पर इस लीला को परखा जाए तो स्वर्ग के राजा इंद्र को भू लोक से चौथ वसूली करने का कोई लॉजिक समझ में नहीं आता , समझा जा सकता है कि इंद्र कोई तत्कालीन दबंग जल माफिया रहा होगा वह जल के स्रोतों और भंडार के नाम पर ब्लैकमेलिंग करता होगा।

गोवर्धन लीला खरीफ फसल की कटाई के समय आती है , इंद्र ने चौथ वसूली के लिए पहले तो जल की सप्लाई रोक दी और जब कृष्ण जी के कहने पर बृजवासियों ने चौथ देना बंद कर दिया तो डैम के फाटक खोल दिये, फिर कृष्ण जी के आव्हान पर बृजवासी अपना बांध बनाने पहुंच गए, इंद्र अपने बैराज के रेगुलेटर की चूड़ी खुलवाता रहा और उधर कृष्ण जी अपने कुशल निर्देशन में बांध तईयार कराते रहे सात दिन में इंद्र हलकान हो कर कृष्ण जी के सामने सरेंडर कर गया।

अब अन्नकूट के 56 भोग को लिया जाए तो बताते हैं कि यशोदा मईय्या कॄष्ण जी को दिन में आठ बार कुछ ना कुछ खिलाती थीं , श्री कृष्ण जी सात दिन अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाये खड़े रहे लेकिन यशोदा मईय्या आठ समय का भोजन बनाती रहीं , जैसे ही कृष्ण जी द्वारा गोवर्धन पर्वत रखने की सूचना यशोदा मईय्या के पास पहुंची तो वे पूरे सात दिन का 56 समय का भोजन लेकर वहां अपने लाला को खिलाने पहुंच गयीं

ये था 56 भोग जो कि हर धर्मिक भोग प्रसाद का हिस्सा बन गया है इसको व्यवहारिक तौर पर देखा जाए तो जैसे ही बांध बनने का काम सम्पन्न हुया सारे बृजवासी बांध बनाने के काम में लगे 7 दिन के भूखे गवालवालों के लिए घर में उपलब्ध जो भी बाजरा , ज्वार , चावल , गेंहू , आलू , टमाटर , भिंडी , तोरई , काशीफल , लौकी , धनियां , अदरक , शिमला मिर्च , हरी मिर्च , करेला , केला , , खीरा , सेब , नमक , मिर्च , गरम मसाला था उसी को लेकर गोवर्धन पर्वत की तलहटी में पहुंच गए।

भूख की जल्दी में बिना छांटे बीने सबको एक ही पात्र में डालते गए यहां से बनी अन्नकूट की सब्जी और भात इस अन्नकूट की सब्जी के आनंद का कोई मुकाबला नहीं होता, बाजार में जो मिलै और जो कछू घर में होय , सबरे कू कड़हिया में डार कै बनन देओ और गोवर्धन बाबा की पूजा करकै खाये जाओ , खाये जाऔ पूड़ी चाहें बासी होंय या ताजी होयं या फिर होय बाजरा और भात , काऊ सै खाऔ, दिवारी के सबरे पकवान सै खराब भयौ पेट सही है जायगौ

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