धर्म-कर्म

"सावन महीने का आखिरी सोमवार"

News Desk Editor
20 Aug 2018 4:21 AM GMT
सावन महीने का आखिरी सोमवार
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भगवान शिव की आराधना के लिए सावन माह का विशेष महत्व है। सावन महीने का आखिरी सोमवार आज है... यह सोमवार बेहद शुभ माना जाता है। सावन के प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में भक्तों का रेला रहता है। भगवान शिव और माता गौरी की पूजा करने से भक्तों पर उनकी असीम कृपा बरसती है...भगवान शिव और शक्ति का पूजन करने से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। भगवान शिव हर क्षण अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। सावन के चौथे सोमवार को सफेद शिवलिंग की पूजा करें। मां गौरी और चंद्रमा का भी पूजन करें। शिवलिंग पर बिल्व पत्र और माता गौरी पर सफेद रंग के फूल अर्पित करें। सभी देवी देवताओं में महादेव ही ऐसे हैं जिनके ऊपर बेलपत्र चढ़ाया जाता है। सावन के महीने में विशेष रूप से बेलपत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है। माना जाता है कि एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र होता है। दूध से बना कोई भी मिष्ठान भगवान शिव और मां गौरी को अर्पित कर सभी में बांट दें...!!

भगवान शिव की पूजा के लिए सावन के सोमवार बड़े महत्वपूर्ण होते हैं. इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है. शिव लिंग पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है. इसमें विशेष तरह के प्रयोग भी किए जाते हैं. सावन का अंतिम सोमवार इस वर्ष शिव कृपा प्राप्त करने का अंतिम अवसर होगा. इस अवसर पर अपनी कामनाओं को पूर्ण करने का अंतिम प्रयास किया जा सकता है. किसी भी तरह की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए सावन के अंतिम सोमवार को शिवजी की पूजा अवश्य करें. इस बार सावन का अंतिम सोमवार आज यानी 20 अगस्त को है...!!

सावन महीने का आखिरी सोमवार... इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र और वैधृतियोग में शिव का जलाभिषेक करना अत्यंत लाभकारी होगा। इस दिन धन और संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को भगवान शिव की अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक के लिए जल दुग्ध अक्षत काला तिल और जौ डाल कर महादेव का अभिषेक करें और ॐ गौरिशंकराय नमः मंत्र का जाप करें...!!

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें। धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें। तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं बाधा शांति होती है। इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है। पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गाय के दूध से रुद्राभिषेक करें। एेसा करने पर योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है। ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें। शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है... सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है एवं उसका मरण होता है...!!

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है...इस आर्टिकल को पढ़कर अपने विचार हमें कमेंट में जरूर लिखिए, बहुत अच्छा लगता है जब लोग अपनी बातें हमसे शेयर करते हैं...!!


कुंवर सी. पी. सिंह पत्रकार





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