धर्म-कर्म

इन उपायों की मदद से भगवान गणेश को करें खुश, पूरी होगी हर मनोकामना

Shiv Kumar Mishra
11 Aug 2021 8:15 AM IST
इन उपायों की मदद से भगवान गणेश को करें खुश, पूरी होगी हर मनोकामना
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बुधवार को पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके सारे दुखों को हर लेते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश सभी लोगों के दुखों को हरते हैं। प्रथम पूजनीय भगवान गणेश रिद्धी-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं। वह भक्तों की बाधा, संकट, रोग-दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्री गणेश की पूजा का दिन बुधवार है।

कहा जाता है कि बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा और उपाय करने से हर समस्या का समाधान हो जाता है। गणेश जी अमंगल को दूर करने वाले और विघ्नहर्ता हैं। कहा जाता है कि जिस घर में गणेश की कृपा हो जाए उसके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम

भगवान गणेश को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है कि हर दिन सुबह स्नान पूजा करके गणेश जी को गिन कर पांच दूर्वा यानी हरी घास अर्पित करें। दूर्वा गणेश जी के मस्तक पर रखना चाहिए। चरणों में दूर्वा न रखें। दूर्वा अर्पित करते हुए बोले यह मंत्र – इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नम:

शास्त्रों के अनुसार गणेश जी की पूजा में शमी का पौधा शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय पाने के लिए शमी की पूजा की थी। शमी के कुछ पत्ते नियमित गणेश जी को अर्पित करें। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में धन और सुख की वृद्धि होती है।

भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए साबुत चावल चढ़ाएं। सूखा चावल गणेश जी को न चढ़ाएं। चावल को पहले गीला करें फिर, इदं अक्षतम् ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करते हुए तीन बार गणेश जी को चावल चढ़ाएं।

सिंदूर की लाली गणेश जी को बहुत पसंद है. गणेश जी की प्रसन्नता के लिए लाल सिंदूर का तिलक लगाएं. मान्यता है कि गणेश जी को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक जरूर लगाएं. इससे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है. कहते हैं कि इससे आर्थिक क्षेत्र में आने वाली परेशानी और विघ्न से गणेश जी रक्षा करते हैं. गणेश जी को सिंदूर चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें - 'सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥ ओम गं गणपतये नमः'

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