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आज है नरक चतुर्दरी, जानें- दीपदान का शुभ समय, ऐसे करें पूजा मनोकामना होगी पूर्ण
हम दिवाली के एक दिन के त्योहार के रूप में जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक रहता है. यह धनतेरस के उत्सव के साथ शुरू होता है, इसके बाद नरका चतुर्दशी दिवाली, पड़वा और भाई दूज. नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली को चतुर्दशी या चौदस के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन देवता यमराज को दक्षिण दिशा में दीप दान कर छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस साल हिंदू कैलेंडर में तिथियों के बढ़ने और घटने के कारण छोटी दिवाली 3 नवंबर की सुबह से 4 नवंबर की सुबह तक मनाई जाएगी.
नरक चतुर्दशी तिथि और स्नान का शुभ मुहूर्त-
इस बार छोटी दिवाली, 3 नवंबर 2021 को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09:02 बजे से अगले दिन सुबह 06:03 बजे तक है.
स्नान या अभयंगा स्नान का समय सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर तीन मिनट तक रहेगा. मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है और मौत के बाद नरक की यातनाओं से छुटकारा मिलता है.
नरक चतुर्दशी के दिन ऐसे करें दीपदान-
1. नरक चतुर्दशी के दिन घर के सबसे बड़े सदस्य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए.
2. इस दीये को पूरे घर में घुमाएं.
3. अब घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं.
4. घर के दूसरे सदस्य घर के अंदर ही रहें और उन्हें यह दीपक नहीं देखना चाहिए.
चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व
धार्मिक ग्रंथो में इस चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने दैत्य नरकासुर का संहार कर सभी देवी देवताओं और तीनों लोको को उसके प्रकोप से बचाया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन यमदेव का तर्पण करने से नर्क नहीं भोगना पड़ता और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। साथ ही इस दिन 6 देवी देवताओं, भगवान कृष्ण, मां काली, यमदेव, हनुमान जी, शिवजी और गणेश जी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन इन सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है।
देवी-देवताओं की पूजा के बिना अधूरा (Naraka Chaturdashi Puja)
आपको बता दें आरती के बिना देवी देवताओं की पूजा को संपूर्ण नहीं माना जाता। स्कंद पुराण के अनुसार आरती और मंत्रों का जाप करने के बाद ही पूजा को संपूर्ण माना जाता है। आरती के बिना देवी देवताओं की पूजा को अधूरा माना जाता है। ऐसे में नरक चतुर्दशी के पावन पर्व पर भगवान गणेश जी की आरती के साथ पूजा संपन्न करें और यमदेव के इन मंत्रों का जाप करें।