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Mata Chandraghanta:आज है मां चंद्रघंटा का दिन, मां को ऐसे करें प्रसन्न पढ़ें पूजा विधि
नवरात्रि की तृतीया को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है। मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए।
मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजती हैं। इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है। इस देवी के दस हाथ हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं। सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं।
माँ चंद्रघंटा का आर्शिवाद पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें- या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां को ऐसे करें प्रसन्न पढ़ें- पूजा विधि अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
पूजा: आज के दिन श्रीदुर्गा सप्तशती का पांचवा अध्याय पढ़ें। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। यह देवी कल्याणकारी है। इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं। भक्तों को मणिपूरक चक्र में ध्यान लगाकर भगवती की साधना करनी चाहिए।
ध्यान मंत्र :
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
सरल मंत्र : ऊं एं ह्रीं क्लीं
कैसे रंग के कपड़े पहनें औऱ क्या चढ़ाएं प्रसाद :
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। इसके अलावा मां सफेद चीज का भोग जैसै दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।
मनोकामना: मनुष्य मन, वचन और कर्म से परिशुद्ध और पवित्र रहता है। निर्धन को धन और संतानहीनों को संतान की प्राप्ति होती है।
तीसरे दिन इसलिए करते हैं मां चंद्रघण्टा की पूजा
मां चंद्रघण्टा की पूजा के पीछे कारण यह है कि माता का पहला और दूसरा रूप तो भगवान शिव को पाने के लिए है, जब मां भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त कर लेती हैं तो आदिशक्ति रूप में आ जाती हैं। देवी पार्वती के जीवन की तीसरी बड़ी घटना के रूप में उन्हें अपना प्रिय वाहन बाघ प्राप्त होता है। यही वजह है कि माता बाघ पर सवार हैं और अपने आदिशक्ति रूप में भक्तों को दर्शन देकर अभय प्रदान करती हैं।
देवी चंद्रघण्टा को ये है पसंद
देवी चंद्रघण्टा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे (ग्रे) रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इसके अलावा उनको अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसलिए सुनहरे रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। मां को सफेद वस्तुओं का भोग लगाएं। इसमें दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा शहद का भी भोग लगा सकते हैं।