Navdurga Special Coverage: "कैसे करें मां दुर्गा के छठे स्वरुप मां कात्यायनी को प्रसन्न"
Navdurga Special Coverage, How to do Durga Puja, Worship Maa Katyayani on the 6th day, Worship Katyayani, How to worship Katyayani: कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवां रूप है। यह पार्वती जी का दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हैमावती, इस्वरी इन्ही के अन्य नाम हैं। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की षष्ठी तिथि मां कात्यायनी की पूजा को समर्पित है। मां दुर्गा का यह छठा स्वरूप बहुत करुणामयी है। माना जाता है कि मां दुर्गा ने अपने भक्तों की तपस्या को सफल करने के लिए यह रूप धारण किया था।
पौराणिक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने महर्षी कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था। महर्षी कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही मां दुर्गा के इस रूप का नाम कात्यायनी रखा गया। इसके साथ ही आगे चलकर मां कात्यायनी ने दैत्य महिषासुर का वध किया तो उन्हें महिषासुर मर्दनी भी कहते हैं।
मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से और विधिवत मां कात्यायनी का पूजन करता है उसके सभी रोग, दुख और भय दूर हो जाते हैं। साथ ही देवी की आराधना से सभी वैवाहिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि और मंत्र के बारे में...
नवरात्रि पर मां दुर्गा के साथ फोटो भेजें और मंदिर पुनरुत्थान अभियान द्वारा आकर्षक इनाम पाएं।
कैसे करें पूजा –
गोधुली वेला (शाम) कात्यायनी की पूजा की जाती है। सबसे पहले फूलों से मां कात्यायनी को प्रणाम कर मंत्र का जाप करें। इसके अलावा इस दिन दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय का पाठ करें। माता को पुष्प और जायफल अर्पित करें। देवी मां के साथ इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। पुराणों के मुताबिक इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से गृहस्थ लोगों के जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही विवाह के लिए प्रयत्नशील लोगों को भी शुभ फल प्राप्त होता है।
इस मंत्र से माता होंगी प्रसन्न – मां कात्यायनी को शहद तथा लाल रंग प्रिय है, इसलिए इस दिन लाल रंग वाले कपड़े पहने और माता को शहद का भोग लगाएं। कात्यायनी की पूजा के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें –
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।
" विवाह में आ रही परेशानी को दूर करने के लिए करें माँ कात्यायनी की पूजा"
गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें। माँ के समक्ष दीपक जलायें और उन्हें पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद 3 गाँठ हल्दी के चढ़ाएं। माँ कात्यायनी के मन्त्रों का जाप करें।
- मन्त्र
"कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"
पूजा के बाद हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।
मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा जो भी भक्त श्रद्धाभाव से करता है। उस पर मां की कृपा बरसती है और घर में धन धान्य, सुख-समृद्धि की कभी कमी नहीं रहती है।