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Navratri Special: सभी कष्टों को दूर करती हैं मां लेहड़ा वाली, दूर-दूर से दर्शन को आते हैं लोग
गोरखपुर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर महराजगंज जिले में स्थित है माता लेहड़ा देवी मंदिर।इस मंदिर का ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। फरेंदा-बृजमनगंज मार्ग पर आद्रवन जंगल के पास है यह मंदिर। महाभारत काल में पांडवों ने इस क्षेत्र में वक्त गुजारा था। मंदिर के बगल से होकर बहने वाले प्राचीन पवह नाला का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि यहां मौजूद देवी की पिंडी पर मत्था टेकने वालों की सभी इक्षाओं की पूर्ति होती हैं। मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। अगल-बगल के जनपदों के साथ ही पड़ोसी राज्य बिहार व, नेपाल से भी बड़ी संख्या में लोग माता का दर्शन करने यहां पर आते हैं और श्रद्धा से शीश नवाते हैं।
जानिए इतिहास
माता दुर्गा के इस प्राचीन मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। लोगो के अनुसार मंदिर के आस पास पहले घना जंगल हुआ करता था। जंगल में ही एक सुंदर सरोवर के किनारे माता की पिंडी स्थापित हुई थी। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास का समय यहीं पर व्यतीत किया था। इसी तालाब के किनारे युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों का जवाब देकर अपने भाइयों की जान बचाई थी। जन श्रुतियों के मुताबिक इस मंदिर की स्थापना द्रौपदी के साथ पांडवों ने की थी। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने माता के इस मंदिर का उल्लेख अपने यात्रा वृतांत में किया है।
एक दूसरी किवदंती के अनुसार, कई हजार साल पहले यहां पर एक नदी बहती थी, जहां एक दिन माता एक किशोरी का रूप रखकर गईं और नाविक से नदी पार कराने को कहा। मां की सुंदरता पर आसक्त हो नाविक ने उनसे छेड़खानी करनी चाही तो उस पर कुपित होकर मां ने नाविक और नाव के साथ उसी पल जल समाधि ले ली. आज भी वह नदी विद्यमान है और काफी दिनों तक वह नाव डूबी हुई अवस्था में दिखाई देती थी।
रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है स्थान
देश के किसी भी कोने से आप इस स्थल पर पहुंच सकते हैं। फरेंदा से बृजमनगंज जाने वाले मार्ग पर स्थित इस मंदिर तक जाने के लिए रेल और सड़क मार्ग दोनों की सुविधा उपलब्ध है। लेहड़ा रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है तो वहीं आनंदनगर रेलवे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर है यह मंदिर। सड़क मार्ग से जाने के लिए आनंदनगर कस्बे से जीप, आटो वबस की सुविधा उपलब्ध है।
भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं
मंदिर के पुजारी के अनुसार, आद्रवन लेहड़ा देवी मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई भक्तों की हर मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में प्रसाद, मिट्टी के हाथी, घंटा व अन्य कई वस्तुएं दान करते हैं। साथ ही प्रसाद के रूप में लोग नारियल, चुनरी, लाई, रेवड़ी को ले जाते हैं।