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निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से बाकी सभी एकादशी का पुण्य प्राप्त होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है, परन्तु इस बार एकादशी तिथि 10 और 11 जून दोनों दिन है एवं द्वादशी तिथि का लोप हो रहा है,मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है, ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है, इस व्रत को रखने से मनुष्य के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं, इस व्रत का विशेष पुण्य शास्त्रों में बताया गया है यही कारण है कि लोग इस एकादशी का वर्षभर इंतजार करते हैं.
जैसा की इसके नाम से ही ज्ञात होती है कि इस व्रत में जल का त्याग किया जाता है, निर्जला यानि बना जल के, इस दिन व्रत रखने वाले जल ग्रहण नहीं करते हैं. इसी कारण इस एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है.
एकादशी व्रत रखने की परंपरा भारत में कई वर्षों से चली आ रही है। महाभारत काल में वेदव्यास जी ने भीम को इस व्रत की महिमा बताई थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त एकादशी व्रत रखता है तथा श्रीहरि की पूजा करता है उसके सभी पाप मिट जाते हैं। इसके साथ भक्तों को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को मरने के बाद स्वर्ग में जगह मिलती है।
निर्जला एकादशी व्रत यूं तो निर्जल रखा जाता है लेकिन, आप पानी पीकर भी इसे रख सकते हैं। जैसे कि आप एकादशी के बाकी व्रत करते हैं। अगर आप बीमार हैं तो फलाहार व्रत रख सकते हैं।
निर्जला एकादशी के दिन पूरे समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का मानसिक जाप करते रहना चाहिए। द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन साधारण भोजन पूड़ी, हलवा, सब्जी के साथ आम का फल व जल रखकर भगवान विष्णु की अराधना करते हुए पहले जल ग्रहण करें, फिर भोजन शुरू करना चाहिए। इस दिन भोजन करने से पहले गरीबों को भोजन दान करना भी शुभ माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत सभी तीर्थों में स्नान करने के समान होता है।निर्जला एकादशी व्रत रखने से इंसान सभी पापों से मुक्ति पा जाता है। इस व्रत के रखने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जीवन से सभी दुख कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को रखने से मृत्यु भी व्यक्ति के समीप नहीं आ पाती। इस व्रत में गोदान, वस्त्र दान, फल व भोजन दान का काफी महत्व होता है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को भोज कराना भी शुभ माना जाता है।
पद्म पुराण में कहा गया है कि जो लोग जल से भरे हुए घड़े में शक्कर मिलाकर दान करते हैं वह भगवान विष्णु के धाम में भगवान विष्णु के समीप रहकर आनंद की प्राप्ति करते हैं। जो लोग निर्जला एकादशी के दिन जूता दान करते हैं वह सोने के विमान में बैठकर परमधाम को जाते हैं।
निर्जला एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, घड़ा, जूता, छाता, सोना, गाय, शैय्या, आसन और कमंडल इनका दान उत्तम बताया गया है। जो व्यक्ति ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन व्रत रखकर इन चीजों का दान करता है और रात्रि में जागरण करक भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन और जप करता है वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और स्वयं तो उत्तम लोक में जाता ही है साथ उसके पितर भी जो किसी पाप कर्म से नरक में होते हैं वह भी पाप मुक्त होकर स्वर्ग में स्थान पा जाते हैं।
एकादशी इस वर्ष 10 जून दिन शुक्रवार को है। महर्षि व्यास ने निर्जला एकादशी का जो वर्णन पांडु पुत्र भीम से किया था उसका वर्णन पद्म पुराण में किया है। इस पुराण में बताया गया है कि साल में जो 24 एकादशी होती है उनमें ज्येष्ठ मास की एकादशी ऐसी है जिसमें व्रत रखने मात्र से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है।
निर्जला एकादशी के दिन चावल, नमक के अलावा बैंगन, मूली, प्याज, लहसुन और मसूर की दाल जैसे अशुद्ध चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत में इन चीजों का सेवन करने से व्रत भंग हो सकता है।
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कुंडली / ज्योतिष सम्बंधित किसी भी जानकारी एवं उपाय, पूजा - पाठ, जाप, अनुष्ठान, रत्न सलाह आदि के लिये हमसे सम्पर्क कर सकते हैं.
डॉ0 गौरव कुमार दीक्षित
ज्योतिषाचार्य, सोरों जी
08881827888