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निर्जला एकादशी जिसे भीम एकादशी भी कहा जाता है. हिंदू मान्यताओं में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. वैसे तो हिंदू धर्म में सभी एकादशिओं का अपना अलग-अलग महत्व है लेकिन इस एकादशी का अपना ही एक अलग महत्व है।एकादशी व्रत का यह एक विशेष रूप है इसमें व्रत रखने वाला इंसान भोजन नहीं करता है और पूरे दिन बिना पानी के रहता है। यह व्रत भगवान विष्णु की उपासना के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
आपको बता दें कि इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को है। इस दिन आप भी भगवान विष्णु की पूजा व्रत रख कर कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप इस व्रत को करते हैं तो आपकी संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है ।
लोग इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हैं और विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं। यही नहीं इस दिन तुलसी से जुड़े भी कई उपाय भी किये जाते है। निर्जला एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु के लिए चरणामृत और पंजीरी का भोग लगाना चाहिए और इस भोग की वस्तु में आपको तुलसी के पत्तों को जरूर डालना चाहिए। तुलसी को हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है और इसके पत्तों का प्रयोग भगवान की पूजा में विशेष रूप से किया जाता है इसलिए निर्जला एकादशी के दिन चरणामृत और पंजीरी का भोग लगाते समय उसमें तुलसी के पत्तों का प्रयोग जरूर करें निर्जला एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में शाम के समय घी का दीपक जरूर जलाएं। साथ ही भगवान विष्णु के मंत्र का जप करें। 11 बार तुलसी के पौधे की परिक्रमा भी करें। इस उपाय से घर में यदि कलेश रहता है तो वह समाप्त हो जाता है और सुख शांति और खुशहाली बनी रहती है। निर्जला एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में घी का दीपक जलाना, भगवान विष्णु के मंत्र का जप करना और पौधे की परिक्रमा करना आपके घर को सुख, शांति और खुशहाली की ओर ले जाता है.
आपको बता दें कि इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को है। इस दिन आप भी भगवान विष्णु की पूजा व्रत रख कर कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप इस व्रत को करते हैं तो आपकी संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है .