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जानिए सावन की शिवरात्रि का महत्व , पूजाविधि और मंत्र

Anonymous
9 Aug 2018 8:10 AM GMT
जानिए सावन की शिवरात्रि का महत्व , पूजाविधि और मंत्र
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सावन की शिवरात्र‍ि (Sawan Shivratri) हर साल सावन के महीने में मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास में आने वाली सावन शिवरात्री के दिन विधी विधान से भगवान शिव की पूजा करने से और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ती होती है

सावन की शिवरात्र‍ि (Sawan Shivratri) हर साल सावन के महीने में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास में आने वाली सावन शिवरात्रि के दिन विधि विधान भगवान शिव की पूजा करने से और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही नहीं, जीवन में सुख-समृद्ध‍ि भी आती है. शिव भक्त भी सावन की शिवरात्र‍ि का साल भर इंतजार करते हैं. शिव भक्‍त गंगा नदी का पवित्र जल अपने कंधों पर लाकर सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. आइए आपको बताते हैं कि Sawan Shivratri क्यों मनाई जाती है.

क्‍यों मनाई जाती है सावन शिवरात्र‍ि (Sawan Shivratri 2018) ?

महादेव शंकर को सभी देवताओं में सबसे सरल माना जाता है और उन्‍हें मनाने में ज्‍यादा जतन नहीं करने पड़ते. भगवान सिर्फ सच्‍ची भक्ति से ही प्रसन्‍न हो जाते हैं. यही वजह है कि भक्‍त उन्‍हें प्‍यार से भोले नाथ बुलाते हैं. सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्‍व है जिसका सीधा संबंध सावन की शिवरात्रि से है. सावन की शिवरात्र‍ि मनाने के संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं. हालांकि सबसे प्रचलित मान्‍यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव घटाघट पी गए. इसके परिणामस्‍वरूम वह नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हो गए. त्रेता युग में रावण ने शिव का ध्यान किया और वह कांवड़ का इस्‍तेमाल कर गंगा के पवित्र जल को लेकर आया. गंगाजल को उसने भगवान शिव पर अर्पित किया. इस तरह उनकी नकारात्‍मक ऊर्जा दूर हो गई.

सावन शिवरात्रि की पूजा विधि

- सावन शिवरात्रि के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिव की पूजा करें.

- मंदिर पहुंचकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को पंचामृत जल अर्पित करें. दूध, दही, चीनी, चावल और गंगा जल के मिश्रण से पंचामृत बनता है.

- पंचामृत जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग पर एक-एक करके कच्‍चे चावल, सफेद तिल, साबुत मूंग, जौ, सत्तू, तीन दलों वाला बेलपत्र, फल-फूल, चंदन, शहद, घी, इत्र, केसर, धतूरा, कलावा, रुद्राक्ष और भस्‍म चढ़ाएं.

- इसके बाद शिवलिंग को धूप-बत्ती दिखाएं.

- सावन की शिवरात्रि के दिन भक्‍तों को व्रत रखना चाहिए. इस दिन केवल फलाहार किया जाता है. साथ ही खट्टी चीजों को नहीं खाना चाहिए. इस दिन काले रंग के कपड़ों को पहनना वर्जित माना गया है.

सावन शिवरात्र‍ि के मंत्र और जयकार

ऊपर बताई गई सामग्री चढ़ाने के बाद इन मंत्रों का सही-सही उच्‍चारण करें:

- ॐ नमः शिवाय

- बोल बम

- बम बम भोले

- हर हर महादेव

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