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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य सौरमंडल का सबसे मजबूत ग्रह है। यह सभी ग्रहों के देवता हैं इसलिए इनको प्रसन्न करने से सूर्य मजबूत होता है। धन, लाभ और समाज में प्रसिद्धि पाने के लिए भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है।
पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य को अर्घ्यदान की विशेष महत्ता बताई गई है। प्रतिदिन प्रातःकाल में तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।
रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करें। इसके बाद पूजन में सूर्य देव के निमित्त लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़हल का फूल, चावल अर्पित करें। गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं और पवित्र मन से नीचे दिए हुए सूर्य मंत्र का जाप कर सकते हैं। यह मंत्र राष्ट्रवर्द्धन सूक्त से लिए गए हैं। साथ ही अपने माथे पर लाल चंदन से तिलक लगाएं।
जो व्यक्ति सम्पूर्ण जीवन सूर्य देव की आराधना करता है, उन्हें जल अर्पित करता है, उनके चेहरे पर सैदव तेज रहता है। ऐसे व्यक्ति में दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता विकसित होने लगती है। सूर्य देव की नित्य आराधना करने वाला व्यक्ति स्वभाव से निडर और शरीर से बलवान बनता है।
कथाओं में कहा गया है कि भगवान सूर्य का उपासक कठिन से कठिन कार्य में सफलता प्राप्त करता और उसके आत्मबल में भी वृद्धि होती है। नियमित सूर्य की पूजा मनुष्य को बुद्धिमान और विद्वान बनाती है।
सूर्य पूजा करने वाले की आध्यात्म में रुचि बढ़ती है और बुरे विचारों का विकार होता है
जैसे- अहंकार, क्रोध, लोभ और कपट का नाश होता है।