धर्म-कर्म

जब पतिव्रता माता अनुसूइया ने त्रिदेवों को बनाया 6 माह का शिशु, जानिए- कैसे शर्त भी मानी, लाज भी बचायी

Arun Mishra
25 May 2022 6:55 PM IST
जब पतिव्रता माता अनुसूइया ने त्रिदेवों को बनाया 6 माह का शिशु, जानिए- कैसे शर्त भी मानी, लाज भी बचायी
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ब्रह्मा, विष्णु, महेश वेष बदलकर भिक्षा मांगने अनुसूया के पास पहुंच जाते हैं।

माता अनुसूया महान् पतिव्रता नारी थीं। तीनों लोकों में उनकी चर्चा थी। ऋषि मुनि नारदजी ने माता अनुसूया की तारीफ तीन देवियों के समक्ष कीं। ये तीन देवियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पत्नी ब्रह्माणि, लक्ष्मी माता और पार्वती माता थीं।

तीनों देवियों ने नारदजी की बात सुनकर पूछा- क्या अनुसूया हम तीनों से भी अधिक पतिव्रता हैं? नारद ने जवाब दिया- "आज की तारीख तक तो वे जरूर ऐसा हैं।"

तीन देवियों ने अपने-अपने पतियों से कहा कि आप जाइए और अनुसूया का सतीत्व नष्ट करके आइए। ब्रह्मा, विष्णु, महेश वेष बदलकर भिक्षा मांगने अनुसूया के पास पहुंच जाते हैं।

अनुसूया माता कहती हैं "मैं अभी भिक्षा लाती हूं।"

तीनों देवता कहते हैं "हमें भिक्षा नहीं चाहिए।"

माता ने कहा, "तो भोजन कर लीजिए।"

देवता बोले, "हम जरूर करेंगे, लेकिन हम जैसे कहेंगे वैसे ही भोजना कराना होगा।"

माता को लगा इनको मेवा मिष्टान्न खाने की इच्छा होगी।

माता बोलीं, "ठीक है। आप जैसे कहेंगे. वैसे ही हम आपको भोजन कराएंगे।"

आगे तीनों देवता कहते हैं, "आप जिस अवस्था में अपनी माता के गर्भ से निकली थीं, उसी अवस्था में हमें भोजन कराएं।"

माता अनुसूया ने विनम्रता से कहा, "आप सब जानते हैं कि मैं पतिव्रता नारी हूं। फिर भी ऐसा कहते हुए आपको डर क्यों नहीं लग रहा है? क्या आपको मेरे श्राप से भी डर नहीं लगता?"

भगवान कहते हैं, "आपने वचन दे दिया है। पूरा करना या नहीं करना आप पर निर्भर करता है। अगर आपने पूरा कर दिया, तो क्षमा करना या श्राप देना भी आपकी दया पर निर्भर है।"

माता समझ गयीं कि जो व्यक्ति मेरे श्राप से नहीं डर रहा है, मेरे क्रोध से नहीं डर रहा है तो वह आम व्यक्ति नहीं हो सकता। यह कोई मेरी परीक्षा चल रही है। माता ने कहा "आप बैठें, मैं तैयारी करती हूं।"

माता अनुसूया अंदर से हाथ में जल लेकर आती हैं। इस दौरान विष्णु भगवान का ध्यान करती हैं। जबकि, वे सामने ही बैठे हुए होते हैं। वह भगवान को याद करती हुई कहती है कि अगर सच में मैंने पतिव्रता धर्म का ईमानदारी से पालन किया है तो ये तीनों साधु जल छिड़कते ही छोटे-छोटे बालक बन जाएं।

पास आते ही माता अनुसूया तीनों देवताओं पर जल छिड़क देती हैं। वे तीनों छोटे-छोटे बालक में बदल जाते हैं। उन्हें माता अनुसूया कमरे में ले जाती हैं। बिल्कुल नग्न अवस्था में उन बालकों को भोजन कराती हैं। बालकों का भोजन दूध होता है। इसलिए दूध पिलाती हैं। इस तरह माता अनुसूया अपने वचन से भी नहीं मुकरती हैं और वेष बदलकर आए तीनों देवताओं की रखी शर्त भी पूरी कर देती हैं। यह सब संभव हुआ क्योंकि पतिव्रता होने के कारण माता अनुसूया में शक्ति थी। यह शक्ति तप के जरिए आती है।

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

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