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ऐसी है Sri Bangla Sahib Gurudwara की भव्यता, जानिए इसके सरोवर की महिमा
नई दिल्ली: भारत एक ऐसा देश जहां अलग-अलग संप्रदाय, धर्म और अलग-अलग भाषाओं के लोग एक साथ यहां रहते हैं यानी अनेकता में एकता के दर्शन होते हैं. इन्हीं धर्मों में से एक धर्म है सिख धर्म. जिसका भारतीय धर्मों में विशेष महत्व है.
गुरुनानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु थे. उन्होंने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. ज़ी आध्यात्म (ZEE Adhyatm) में आज हम दिल्ली के श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) के इतिहास और सिख धर्म के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानेंगे.
सिख धर्म का भारतीय धर्मों में अपना एक पवित्र स्थान है. 'सिख' शब्द की उत्पत्ति 'शिष्य' से हुई है, जिसका अर्थ गुरुनानक के शिष्य से मतलब उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने वालों से है. गुरुनानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु और प्रवर्तक हैं. उन्होंने 15वीं शताब्दी में सिख धर्म की स्थापना की.
सिख धर्म में गुरुनानक देव जी के बाद नौ गुरु और हुए. बाद में गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु प्रथा समाप्त करके गुरु ग्रंथ साहिब को ही एकमात्र गुरु मान लिया.
राजधानी दिल्ली में स्थित श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) का अपना गौरवशाली इतिहास है. बंगला साहिब दिल्ली (Delhi) के सबसे प्रमुख सिख गुरुद्वारों में से एक है.
श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) नई दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में अशोक रोड और बाबा खडग सिंह मार्ग के पूर्व की ओर चौराहे पर स्थित है. हर दिन हजारों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं.
जान लें कि एक तीर्थस्थल के तौर पर श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) काफी लोकप्रिय है. हर धर्म और हर जाति के लोग यहां ना सिर्फ मत्था टेकते हैं बल्कि लंगर में भी शामिल होते हैं.
श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) को बाहर से देखें तो भव्यता का अहसास होता और अंदर जाते ही शांति की अनुभूति होती है. इस गुरुद्वारे का गुंबद सोने का है.
इस गुरुद्वारे में अंदर स्थित सरोवर के पानी को अमृत के समान पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि श्री बंगला साहिब गुरुद्वारे (Sri Bangla Sahib Gurudwara) का पानी कई बीमारियों के इलाज में कारगर है. इस गुरुद्वारे की मान्यता ऐसी है कि बड़े से बड़े रोग और कष्ट यहां आकर दूर हो जाते हैं. यही वजह है कि रोजाना दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु कष्टों से मुक्ति पाने यहां आते हैं.
बताया जाता है जिस जगह पर श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) की स्थापना हुई थी, वह हिंदू राजा जय सिंह का बंगला था. 17वीं सदी में सिखों के 8वें गुरु हर किशन महाराज दिल्ली में रहते समय यहां रुके थे. 1664 में उस समय चेचक और हैजा की बीमारी से लोग पीड़ित थे.
गुरु हर किशन महाराज ने बीमारी से पीड़ित लोगों की सहायता उनका इलाज करके और उन्हें शुद्ध पानी पिलाकर की थी. हालांकि जल्द ही गुरु हर किशन महाराज को भी बीमारियों ने घेर लिया था और अचानक 30 मार्च 1664 को उनकी मृत्यु हो गई थी.
मान्यता है कि आज भी हजारों लोग श्री बंगला साहिब गुरुद्वारे (Sri Bangla Sahib Gurudwara) में मत्था टेकने के बाद सरोवर में स्नान करते हैं. लोगों का मानना है कि इस सरोवर के पवित्र पानी से उनकी बीमारियां दूर हो जाती हैं. गुरुद्वारे में निशान साहिब की परिक्रमा करके श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.
श्री बंगला साहिब गुरुद्वारे (Sri Bangla Sahib Gurudwara) में देर रात 2 बजे संत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश होता है और उसके बाद श्री सुखमनी साहिब जी का पाठ होता है. श्री सुखमनी साहिब जी के पाठ के बाद पांच वाणियों का पाठ होता है. इसके बाद अरदास होती है. फिर दिनभर भजन कीर्तन होता है. गुरुद्वारे में प्रसाद में कड़ा और प्रसाद चढ़ाया जाता है.
कोरोना काल में गुरुद्वारे में आ रहे श्रद्धालुओं के लिए खास इंतजाम किए गए हैं. परिसर में सैनिटाइजेशन टनल लगाया गया है, इसके अलावा जगह-जगह सैनिटाइजर उपलब्ध करवाए गए हैं. जो लोग बिना मास्क के श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) में आते हैं, उनको यहां के सेवादार मास्क भी देते हैं और साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में भी मदद करते हैं.
श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) में आने वाले लोगों को अपने सिर के बालों को ढकने के लिए और जूते नहीं पहनकर आने के लिए कहा जाता है. विदेशियों और दर्शनार्थियों की सहायता के लिए गाइड भी होते हैं, जो बिना कोई पैसा लिए लोगों की सहायता करते हैं.
गुरुद्वारे के बाहर सिर का स्कार्फ हमेशा रखा होता है, लोग उसका उपयोग अपने सिर को ढकने के लिए भी कर सकते है. स्वयंसेवक दिन-रात दर्शनार्थियों को सेवा करते रहते हैं और गुरुद्वारे को स्वच्छ रखते हैं.
श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) में गुरुद्वारे के साथ-साथ एक रसोईघर, बड़ा तालाब, एक स्कूल और एक आर्ट गैलरी भी है. बाकी सभी दूसरे सिख गुरुद्वारों की तरह यहां भी लंगर होता है और सभी धर्म के लोग लंगर भवन में खाना खाते हैं. लंगर का खाना गुरसिख द्वारा बनाया जाता है, जो वहां काम करते हैं और साथ ही उनके साथ कुछ स्वयंसेवक भी होते हैं, जो उनकी सहायता करते हैं.
बता दें कि श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) में सुबह से शाम तक लगातार लंगर चलता है, जहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भरपेट भोजन के रूप में गुरु का प्रसाद खाते हैं. रविवार के दिन तो यहां 1 लाख से ज्यादा लोग आते हैं. इसके लिए गुरुद्वारे की रसोई में लगातार खाना बनता है. जिसमें दाल, चावल, रोटी और सब्जी बनती है, ये खाना सिर्फ गुरुद्वारे में ही नहीं बल्कि पूरी दिल्ली में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाता है.
श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) के परिसर में घर, हायर सेकेंडरी स्कूल, बाबा बघेल सिंह म्यूजियम, एक लाइब्रेरी और एक अस्पताल भी है. वर्तमान में गुरुद्वारे और लंगर हॉल में एयर कंडीशनर भी लगाए गए हैं. नए यात्री निवास और मल्टी-लेवल पार्किंग का निर्माण भी किया गया है.
तो अलगी बार जब भी आप दिल्ली आएं तो खूबसूरत और गौरवशाली इतिहास से जुड़े श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) के दर्शन करने जरूर जाएं. इसके लिए आपको कुछ जरूरी जानकारियां दे देते हैं.
गुरुद्वारा जाने का समय
सुबह 05:00 बजे से रात 12:00 बजे के बीच कभी भी श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) आकर आप दर्शन कर सकते हैं.
बता दें कि श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा (Sri Bangla Sahib Gurudwara) दिल्ली के कनॉट प्लेस पर स्थित है. यह गोल डाक खाना के पास है. यहां का नजदीकी मेट्रो स्टेशन राजीव चौक मेट्रो स्टेशन या पटेल चौक मेट्रो स्टेशन है. आप शिवाजी स्टेडियम स्टेशन से एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो भी ले सकते हैं.