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आज अस्तजचलगामी सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्यष, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा महत्व...
छठ पूर्जा में सांध्या अर्घ्या और ऊषा अर्घ्यत का बड़ा महत्वत है. नहाय-खाय और खरना के बाद व्रती महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला रहती हैं. इसके बाद आज 30 अक्टू्बर को अस्ता चलगामी यानी कि डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य् दिया जाता है. अब कल 31 अक्टू बर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्यत दिया जाएगा. आइए जानते हैं आज सांध्य् अर्घ्या देने का शुभ मुहूर्त और सही तरीका. ऐसे देते हैं डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य छठ महापर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से होती है. इस दिन नहाय-खाय होता है. इसमें व्रती महिलाएं पूजा करके कद्दू और भात खाकर व्रत शुरु करती हैं
फिर अगले दिन खरना होता है. इस साल 28 अक्टूतबर से छठ महापर्व शुरू हुआ है और आज निर्जला व्रत रखी हुई महिलाएं शाम को नदी या तालाब किनारे जाकर पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देंगी. इस सांध्य अर्ध्यि के लिए खासतौर पर तैयारी की जाती है. अर्घ्य् के लिए बांस के सूप में विभिन्न् प्रकार के फल, ठेकुआ का प्रसाद, गन्नाख, नारियल आदि रखा जाता है. सांध्ये अर्घ्य के बाद कल सुबह उगते हुए सूर्य को अर्ध्यर देंगी. इसके बाद व्रती महिलाएं व्रत का पारण क इसलिए दिया जाता है डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य आज षष्ठीक तिथि के दिन अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य की आखिरी किरण को दूध मिश्रित जल से अर्घ्य दिया जाता है. माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को समर्पित है.
वहीं यह भी माना जाता है कि आज के दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देने से आयु लंबी होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है. इसके अलावा विधि-विधान से किया गया छठ व्रत और पूजा जीवन में खूब सुख-समृद्धि लाती है. सूर्य को अर्घ्यव के शुभ मुहूर्त संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त आज रविवार, 30 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 34 मिनट पर है. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त सोमवार, 31 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 27 मिनट पर है.