धर्म-कर्म

आज है शब-ए-बारात, क्या है इसका मतलब? जानें

Sujeet Kumar Gupta
8 April 2020 5:42 AM GMT
आज है शब-ए-बारात, क्या है इसका मतलब? जानें
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इस्लामिक कैलेंडर की मानें तो शब ए बारात की रात पूरे साल में एक बार शबान महीने की 14 तारीख को सूरज डूबने के बाद शुरू होती है.

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के मद्देनजर 14 अप्रैल तक देश पूरी तरह लॉक डाउन है. खास बात है कि इसी बीच मुस्लिम समुदाय का पवित्र त्योहार शब ए बारात भी पड़ रहा है. इस दिन रात के समय मुस्लिम समुदाय के लोग लगातार नमाज पढ़ते हैं और खुदा से रहमत की दुआ करते हैं. इस मौके पर शहर या गांवों की मस्जिदें भी भरी होती हैं. हालांकि, इस बार लॉक डाउन की पाबंदियों की वजह से मुस्लिम समुदाय के लोगों को घर पर खुदा की इबादत करनी होगी. इस साल 8 अप्रैल को शब ए बारात की रहमतों वाली मुबारक रात पड़ रही है.

गौरतलब है कि इस्लामिक कैलेंडर की मानें तो शब ए बारात की रात पूरे साल में एक बार शबान महीने की 14 तारीख को सूरज डूबने के बाद शुरू होती है. मुस्लिम समाज के लोगों के लिए यह रात काफी ज्यादा फजीलत यानी महिमा की रात कही गई है. शब ए बारात की रात मुसलमान लोग सच्चे मन से अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने व पूरी दुनिया के हक में दुआएं मांगते हुए अपने गुनाहों की तौबा करते हैं.

क्या है शब ए बारात का मतलब?

शब का उर्दू में मतलब बताया गया है रात और बारात एक अरबी शब्द है जिसका मतलब कहा जाता है मुक्ति या मासूमियत. इस्लाम धर्म में शब ए बारात को वो पवित्र रात बताई गई है जिसमें अल्लाह पाक अपने बंदों पर रहम बरसाते हुए उन्हें उनकी हर गलती के लिए माफ कर देता है. इसी वजह से शब ए बारात को मोक्ष की रात भी कही गई है.

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