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मेट्रो से बजरंग बली की 108 फीट ऊंची मूर्ति को देखना
विवेक शुक्ला
वह साल था 1945। महंत नागाबाबा सेवा गिरी दिल्ली आए थे। वे पूर्वांचल से थे। उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पैदल ही करोल बाग का रुख किया। तब पहाड़गंज के बाद आबादी नाम मात्र की ही थी। वे कुछ और पैदल चले तो उन्हें उस स्थान पर एक छोटा सा हनुमान मंदिर मिला जिसे उनके निजी प्रयासों से आगे चलकर भव्यता मिली। उन्होंने वहां पर 108 फीट ऊंची बजरंग बली की मूर्ति स्थापित करवाई। इसकी नींव 40 फीट गहरी है। उनकी देखरेख में हनुमान जी की मूर्ति करीब एक दर्जन मूर्तिशिल्पियों ने 13 सालों की मेहनत के बाद तैयार की थी।
करोल बाग के करीब सिद्ध हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव का माहौल बीते कई दिनों से बन गया है। ज्ञानी जन कह रहे हैं कि हनुमान जी की जयंती नहीं हो सकती। वे तो चिरंजीव हैं। बहरहाल, यहां पर सैकड़ों भक्त आ रहे हैं। भंडारा चल रहा है। दिल्ली मेट्रो में सफर करते हुए इस मंदिर के बाहर लगी विशाल मूर्ति को देखना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव होता है। बजरंग बली की इस विशाल मूर्ति को 'इश्क जादे', 'बजरंगी भाईजान', 'दिल्ली-6' वगैरह फिल्मों में दिखाया भी गया है। इस बीच, हनुमान जी विशाल प्रतिमाएं छतरपुर मेट्रो स्टेशन के करीब और तिलक ब्रिज से सटे हनुमान मंदिर के बाहर भी स्थापित है।
24X7 होता मानस का पाठ
सिद्ध हनुमान मंदिर में 24X7 राम चरित मानस का अखंड पाठ चलता है। इसमें भक्त जुड़ते रहते हैं। राजधानी का संभवत: यह एकमात्र हनुमान मंदिर है जहां पर दिन-रात राम चरित मानस का पाठ जारी रहता है। हालांकि हनुमान चालीसा तो कनॉट प्लेस के प्राचीन हनुमान मंदिर तथा कश्मीरी गेट के हनुमान मंदिरों में चलता रहता है। करोल बाग के सिद्ध हनुमान मंदिर के महंत गिरी बताते हैं कि यहां पर 24X7 राम चरित मानस का अखंड पाठ का श्रीगणेश नागाबाबा सेवा गिरी जी ने ही शुरू करवाया था। वह परंपरा यहां पर जारी है। इसी के साथ यहां पर हनुमान चालीसा को पढ़ते हुए हर वक्त भक्त मिल जाते हैं। सिद्ध हनुमान मंदिर का मैनेजमेंट एक ट्रस्ट देखता है। 78 साल के आईपी एक्सटेँशन निवासी पी.एल.शर्मा को याद है जब इस मंदिर के आगे सड़क तक नहीं थी 1950 के दशक के शुरू में। फिर एक पतली सड़क बनी। अब इस सड़क पर दिन-रात हैवी ट्रैफिक चलता है।
जात-पात से घृणा; गुरु चरन सरोज रज...
महंत नागाबाबा सेवा गिरी जात-पात के विचार को खारिज करते थे। उन्होंने सिद्ध हनुमान मंदिर में अपने साथ पुजारियों और दूसरे सेवकों को जोड़ते हुए उनकी जाति के संबंध में कभी नहीं पूछा। वे मानते थे कि यदि कोई व्यक्ति पुजारी के कार्य करने में सक्षम है तो उसे वे तुरंत अपने साथ जोड़ना चाहेंगे। उन्हें किसी की जाति से कोई सरोकार नहीं है। यहां पर सब जातियों के लोग कार्यरत हैं। पुजारी के पदों पर किसी जाति विशेष की नियुक्ति का कोई नियम नहीं है। इस बीच, यहां पर मंगलवार और शनिवार को हजारों भक्त पूजा अर्चना के लिए आते हैं। सबसे अच्छी बात ये लगी कि यहां पर अव्यवस्था कहीं नजर नहीं आती। सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा है। मंदिर परिसर में कुछ नौजवान हनुमान चालीसा अकेले बैठकर पढ़ रहे हैं। जैसे कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर के बाहर खाने-पीने की ढेरों दुकानों हैं, यहां पर प्रसाद के अलावा कोई दुकान नजर नहीं आती।
कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में 'श्रीराम जयराम जय-जयराम'
कौन सा दिल्ली वाला होगा जो कनॉट प्लेस के प्राचीन हनुमान मंदिर में कभी नहीं गया होगा। इसके बाहर से दर्शन तो सबने किए ही हैं। आज हनुमान जयंती या जन्मोत्सव पर इधर लगभग एक लाख भक्त पूजा अर्चना के लिए आएंगे। इधर प्रतिदन ही मेले वाला वातावरण बना रहता है। यहां भक्त पांच बार, सात या इससे भी अधिक बार हनुमान चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा भाव के साथ करते हुए मिलेंगे।
आज सामूहिक हनुमान चालीसा भी पढ़ा जाएगा। इसके बाद करीब तीन बजे मंदिर से एक शोभा यात्रा निकलेगी। हनुमान जन्मोत्सव के लिए यहां के तमाम महंत भी कई दिनों से तैयारी कर रहे होते हैं। हनुमान मंदिर के अधिकतर महंत मंदिर परिसर ही में ही रहते हैं। इनका संबंध जयपुर से है। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और श्रीमती इंदिरा गांधी भी इसी हनुमान मंदिर में आकर हनुमान चालीसा पढ़ते थे। इधर 1 अगस्त, 1964 से 'श्रीराम जयराम जय-जयराम' मंत्र का अटूट जाप आरंभ हुआ था। यहां पर स्वयंभू हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई थी। इसमें हनुमान जी दक्षिण दिशा की ओर देख रहे हैं। इधर इस मूर्ति के प्रकट होने के बाद यहां पर हनुमान मंदिर का निर्माण हुआ।
मरघट वाला हनुमान मंदिर
दिल्ली कश्मीरी गेट के हनुमान मंदिर को मरघट वाला हनुमान मंदिर भी कहती है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों के समय हुआ था। हनुमान मंदिर मौजूदा स्वरूप में करीब 125 साल पहले ही आया। लूडलो कैसल स्कूल में पढ़े महंत वरूण शर्मा कहते हैं कि उनकी सातवीं पीढ़ी इस सिद्ध मंदिर से जुड़ी हुई हैं। उनसे पहले उनके पिता महंत महावीर प्रसाद शर्मा और दादा मंहत बनारसीदास शर्मा और बाकी बुजुर्ग यहां के महंत रहे। उनका परिवार रोहतक से दिल्ली आया था।
कश्मीरी गेट हनुमान मंदिर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सपरिवार पूजा अर्चना के लिए आते रहते हैं। इस बीच, राजधानी में यूं तो अनगिनत हनुमान मंदिर हैं, पर पंचमुखी हनुमान की मूर्तियां गिनती के ही मंदिरों में मिलती हैं। पटेल नगर के हनुमान मंदिर में पंचमुखी हनुमान की मूर्ति में मारुति नंदन का कठोर रूप दिखाया गया है। यह अपने आप में दुर्लभ कलारूपों में एक हैं, जहां वे किसी राक्षस का वध कर रहे हैं। शेष में हनुमान जी अपने राम की भक्ति में नजर आते हैं। कनॉट प्लेस और और ओखला के हनुमान मंदिरों में भी पंचमुखी रूप में हनुमान जी हैं।
हनुमान मंदिर आईटीओ से तुगलक रोड पर
राजधानी में हनुमान मंदिर चप्पे-चप्पे पर हैं। आईटीओ पर हनुमान जी की विशाल मूर्ति के रोज लाखों दिल्ली वाले दर्शन करते हैं। इस मूर्ति के पीछे हनुमान मंदिर है। आज हनुमान जन्मोत्सव पर यहां सुबह से रात कर सुंदर कांड, हनुमान चालीसा और राम चरित मानस का पाठ होता रहेगा। इस बीच, तुगलक रोड पर भी एक सिद्ध हनुमान मंदिर है। इसे मंगलवार वाला हनुमान मंदिर भी कहा जाता जाता है। इसमें लाल बहादुर शास्त्री, बाबू जगजीवन राम, कमालापति त्रिपाठी से लेकर लालू यादव, राबड़ी देवी समेत हजारों-लाखों हनुमान भक्त आते रहे हैं। जिन दिनों लालू यादव को तुगलक रोड पर सरकारी आवास मिला हुआ था,तब राबड़ी देवी यहां नियमित रूप से आती थीं। यह मंगलवार और शनिवार को गुलजार हो जाता है।
. इन दोनों दिनों में इधर सुबह से देर रात तक बजरंग बली के सैकड़ों भक्त कुछ पलों के लिए रूकते हैं। पूजा अर्चना करके या प्रसाद चढ़ा कर निकल लेते हैं। इन दोनों दिनों में मंदिर के बाहर कारों का आना-जाना लगा रहता है। इसमें आने वाले अधिकतर श्रद्धालु साउथ दिल्ली से होते हैं। ये शाम को घर वापस जाते समय इधर रूक जाते हैं। यह हनुमान मंदिर 1950 के आसपास स्थापित हुआ। इसकी स्थापना की थी पंडित सालिग राम शर्मा ने। वह चिराग दिल्ली रहते थे। इधर हनुमान जी और शिव परिवार की मूर्तियां हैं।