धर्म-कर्म

दुर्गा सप्तशती की हवन विधि क्या है ?

Shiv Kumar Mishra
1 April 2020 2:41 AM GMT
दुर्गा सप्तशती की हवन विधि क्या है ?
x
चाहे लॉकडाउन हो या कुछ और दुर्गा सप्तशती का पावरफुल पाठ और हवन‌ बढ़ाएगा आपकी एनर्जी

नई दिल्ली: मां भगवती दुर्गा अष्ट भुजाओं वाली हैं. उनके पास अपार शक्ति (Cosmic Energy) है. हम साधक बनकर मां की उपासना से उन्हें कृपा करने का कहते हैं तो इसका मतलब है कि हम उस शक्ति से कुछ अंश अपने लिए मांग रहे हैं. मांगने में कोई हर्ज नहीं, एक बेटा या बेटी मां से ही तो मांग रहे हैं मां से नहीं मांगेंगे तो किससे मांगेगे. हालांकि मां दुर्गा की कृपा यानि शक्ति का अंश पाने के लिए कुछ नियम हैं. ये नियम रास्ता है या तरीका है मां की शक्ति का थोड़े अंश की कृपा पाने का. इनमें से एक हवन भी है.

पंडित सकला नंद बलोदी कहते हैं कि इस हवन को नवरात्र में करना चाहिए. अगर आप पूरे नवरात्र न कर सकें तो अष्टमी या नवमी जरूर करें और पूरे नवरात्र दुर्गा सप्तशती का भी पाठ जरूर करें. दुर्गा सप्तशती मां तक हमारी बात पहुंचाने और उनकी कृपा पाने का अचूक रास्ता है. ये बहुत ही पावरफुल मंत्र हैं लेकिन ध्यान रहे कि नियम, संयम का सख्ती से पालन हो. देवी मां इसमें गलती होने पर फल नहीं देती उलटा दंड भी मिल सकता है. हम आपको सप्तशती पाठ और हवन के बारे में बताते हैं.

दुर्गा सप्तशती के अध्याय से कामनापूर्ति-

1- प्रथम अध्याय- हर प्रकार की चिंता मिटाने के लिए

2- द्वितीय अध्याय- मुकदमा झगड़ा आदि में विजय पाने के लिए

3- तृतीय अध्याय- शत्रु से छुटकारा पाने के लिए

4- चतुर्थ अध्याय- भक्ति-शक्ति तथा दर्शन के लिए

5- पंचम अध्याय- भक्ति-शक्ति तथा दर्शन के लिए

6- षष्ठम अध्याय- डर, शक, बाधा हटाने के लिए

7- सप्तम अध्याय- हर कामना पूर्ण करने के लिये

8- अष्टम अध्याय- मिलाप व वशीकरण के लिए

9- नवम अध्याय- गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की कामना एवं पुत्र आदि के लिए

10- दशम अध्याय- गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की कामना एवं पुत्र आदि के लिए

11- एकादश अध्याय- व्यापार व सुख-संपत्ति की प्राप्ति के लिए

12- द्वादश अध्याय- मान-सम्मान तथा लाभ प्राप्ति के लिए

13- त्रयोदश अध्याय- भक्ति प्राप्ति के लिए

ये भी पढ़ें- राशिफल 1 अप्रैल: दुर्गाष्टमी के दिन खुलेगा इन राशिवालों का भाग्य, होगी महागौरी की कृपा

दुर्गा सप्तशती की हवन विधि-

प्रथम अध्याय- एक पान पर देशी घी में भिगोकर 1 कमलगट्टा, 1 सुपारी, 2 लौंग, 2 छोटी इलायची, गुग्गुल, शहद यह सब चीजें खड़े होकर आहुति दें.

द्वितीय अध्याय-प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, गुग्गुल विशेष

तृतीय अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक सं. 38 शहद

चतुर्थ अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक सं.1से11 मिश्री व खीर विशेष

चतुर्थ अध्याय- इस अध्याय की मंत्र संख्या 24 से 27 तक इन 4 मंत्रों की आहुति नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से देह नाश होता है. इस कारण इन मंत्रों के स्थान पर "ओंम नमः चण्डिकायै स्वाहा" बोलकर आहुति देनी चाहिए तथा मंत्रों का केवल पाठ करना चाहिए. इनका पाठ करने से सब प्रकार का भय नष्ट हो जाता है.

पंचम अध्ययाय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक सं. 9 मंत्र कपूर, पुष्प, व ऋतुफल ही है.

षष्टम अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक सं. 23 भोजपत्र.

सप्तम अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक सं. 10 दो जायफल श्लोक संख्या 19 में सफेद चंदन श्लोक संख्या 27 में इन्द्र जौं.

अष्टम अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 54 एवं 62 लाल चंदन.

नवम अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या श्लोक संख्या 37 में 1 बेलफल 40 में गन्ना.

दशम अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 5 में समुन्द्र झाग 31 में कत्था.

ये भी पढ़ें- कोरोना: आयुष मंत्रालय ने गर्म पानी पीने और च्यवनप्राश खाने समेत दी ये सब करने की सलाह

एकादश अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 2 से 23 तक पुष्प व खीर, श्लोक संख्या 29 में गिलोय, 31 में भोज पत्र 39 में पीली सरसों, 42 में माखन, मिश्री, 44 में अनार व अनार का फूल, श्लोक संख्या 49 में पालक, श्लोक संख्या 54 एवं 55 में फूल, चावल और सामग्री.

द्वादश अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 10 में नींबू काटकर, रोली और पेठा लगाकर, श्लोक संख्या 13 में काली मिर्च, श्लोक संख्या 16 में बाल-खाल, श्लोक संख्या 18 में कुश, श्लोक संख्या 19 में जायफल और कमल गट्टा, श्लोक संख्या 20 में ऋतु फल, फूल, चावल और चन्दन, श्लोक संख्या 21 पर हलवा और पूड़ी, श्लोक संख्या 40 पर कमल गट्टा, मखाने और बादाम श्लोक संख्या 41 पर इत्र, फूल और चावल

त्रयोदश अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 27 से 29 तक फल व फूल. जायफल से कीर्ति और किशमिश से कार्य की सिद्धि होती है. आंवले से सुख और केले से आभूषण की प्राप्ति होती है. इस प्रकार फलों से अर्घ्य देकर यथाविधि हवन करें.

खांड, घी, गेंहू, शहद, जौ, तिल, बिल्वपत्र, नारियल, किशमिश और कदंब से हवन करें. गेंहूं से होम करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. खीर से परिवार, वृद्धि, चम्पा के पुष्पों से धन और सुख की प्राप्ति होती है. आवंले से कीर्ति और केले से पुत्र प्राप्ति होती है. कमल से राज सम्मान और किशमिश से सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है. खांड, घी, नारियल, शहद, जौं, तिल और फलों से होम करने से मनवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है.

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

Next Story