कब है पापमोचिनी एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत के बारे में...
सृष्टि के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के प्रिय एकादशी व्रत का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की ग्यारहवीं तिथि, एकादशी, कहलाती है। बता दें कि पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं, जो श्रीहरि विष्णु को समर्पित हैं। इस तरह, महीने में दो एकादशी पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी पड़ती है, उसे पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
इस बार पापमोचिनी एकादशी, 28 मार्च, दिन सोमवार को पड़ रही है। शास्त्रों में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। पुराणों में वर्णित है कि पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखना बेहद शुभफलदायी माना जाता है। पापमोचिनी एकादशी व्रत के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं पापमोचिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में....
पापमोचिनी एकादशी 2023 मुहूर्त
पापमोचिनी एकादशी, 18 मार्च, 2023, दिन शनिवार को मनाई जाएगी। पापमोचिनी एकादशी तिथि के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 17 मार्च को रात 02 बजकर 06 मिनट से होगी और 18 मार्च को सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार, पापमोचिनी एकादशी का व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा। इस व्रत का पारण 19 मार्च को होगा। पारण का समय 19 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से लेकर 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।
पापमोचिनी एकादशी व्रत विधि
इस दिन जल्दी उठकर स्नान करें और ध्यान रखें कि धारण किए गए वस्त्र एक दम स्वच्छ हों। इसके बाद अपने घर में पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करके भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। उन्हें पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद, घी का दीपक जलाएं और श्रीमद्भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें। इसके बाद, भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का जप करें। इसके बाद, पूजा समाप्त होने पर सूर्य को अर्घ्य दें और फिर केले के पेड़ को जल अर्पित करें। ऐसा करने से आपको भगवान सूर्य और भगवान विष्णु, दोनों का आशीर्वाद मिलेगा। इस बात का खास ख्याल रखें कि एकादशी के दिन, तुलसी के पत्तों को न तोड़ें। साथ ही इस दिन, भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप के दर्शन करना भी उत्तम माना जाता है।
व्रत का महत्व
पौराणिक धर्म शास्त्रों में पापमोचिनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी व्रत को करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से भक्त के सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से भक्तों को बड़े से बड़े यज्ञ के समान, फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि पापमोचिनी एकादशी व्रत के दिन, भगवान श्रीहरि विष्णु का विधि–विधान से पूजन और व्रत किया जाए तो वे, अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न होते हैं। इस दिन, पूजन के समय, श्रीहरि की पीले फूलों से पूजा की जाती है। कहते हैं कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पापमोचिनी एकादशी का व्रत, सर्वश्रेष्ठ व्रतों में से एक माना जाता है, जिसको पूर्ण निष्ठा और विधि-विधान के साथ करने से सहस्र अर्थात् हजार गायों के दान का फल मिलता है और साथ ही भगवन श्रीहरि विष्णु की कृपा, सदैव भक्तों पर बनी रहती है।