आज है संकष्टी चतुर्थी जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस तिथि को तिल चतुर्थी या माघी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की और चन्द्रदेव की उपासना करने का विधान है। कहा जाता है कि जो भी इस दिन प्रथम पूजनीय श्री गणेश जी की उपासना करता है उसके जीवन के सारे संकट टल जाते हैं। साथ ही संतान संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। इस बार संकष्टी चतुर्थी का व्रत 9 अप्रैल 2023 को रखा जाएगा। कहते हैं कि इस दिन जो भी भक्त विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा करता है तो भगवान गणेश उसके सारे विघ्न हर लेते हैं। बप्पा की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय...
संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
09 अप्रैल 2023 को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 13 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है। इस दिन अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 10 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इन दोनों मुहूर्त में आप भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है और हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूजनीय देवता माना गया है। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखा जाता है और इस दिन व्रत रखने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहते हैं कि जिस व्यक्ति पर गणपति की कृपा होती है उसके जीवन में आ रहे सभी विघ्न दूर हो जाते हैं।
संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद मंदिर स्वच्छ करें और हाथ में जल, अक्षत और पुष्प इत्यादि लेकर व्रत का संकल्प करें। फिर भगवान गणेश को हल्दी का तिलक लगाएं और दूर्वा, फूल, माला व फल आदि अर्पित करें। फिर घी का दीपक जलाएं। गणपित को लड्डू अतिप्रिय हैं इसलिए पूजा में लड्डू का भोग अवश्य लगाना चाहिए। फिर व्रत कथा पढ़ें व आरती करें। दिनभर व्रत रखने के बाद रात में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को जल देकर व्रत का पारण करें।
विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश और चौथ माता की पूजा करने से संतान पर आने वाले सारे संकट दूर हो जाते हैं। वैवाहिक जीवन में तनाव खत्म होता है। कमजोर बुद्धि वालों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। घर कारोबार में आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है, साथ ही रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। कहते हैं कि चतुर्थी पर चंद्रमा को अर्घ्य देने पर मानसिक कष्ट खत्म होते हैं और परिवार में खुशहाली आती है।